रोजमर्रा की जिंदगी में जाने-अनजाने हम कई ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जो हमें कैंसर जैसी बीमारी समेत कई समस्याओं का शिकार बना देती हैं। इन्हीं में से एक है ड्राईक्लीन कपड़ों का इस्तेमाल। एक अध्ययन के मुताबिक, सफाई में इस्तेमाल होने वाले केमिकल से हममें पार्किंसंस रोग का खतरा 70 फीसदी तक बढ़ जाता है। अगर हम लगातार इन केमिकल्स के संपर्क में रहते हैं तो हमें न सिर्फ कैंसर बल्कि दिमाग से जुड़ी समस्याएं भी होने लगती हैं।
जामा न्यूरोलॉजी द्वारा जारी एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। आइए आपको बताते हैं कि किस तरह सूखे साफ कपड़े या अन्य चीजें हमारी मेंटल हेल्थ को खराब करने का काम कर रही हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक ट्राइक्लोरोएथिलीन (TCE) नाम के केमिकल का इस्तेमाल सफाई एजेंट के तौर पर पुराने समय से किया जा रहा है। यह तरल रसायन हवा, पानी और ठोस पदार्थों में सदियों से मौजूद है। पिछले शोधों में भी इससे कैंसर होने का खतरा बताया गया है, लेकिन नए अध्ययन में कहा गया है कि इससे पार्किंसंस हो सकता है।
पार्किंसंस रोग क्या है
यह दिमाग से जुड़ी ऐसी बीमारी है जिसमें दिमाग की कार्यक्षमता प्रभावित होती है और शरीर की गति प्रभावित होती है। इससे शरीर की सोचने और सूंघने की क्षमता पर असर, मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ना, चलने के तरीके में बदलाव, आवाज में कंपन, पैरों में बेचैनी और थकान जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
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कपड़ों की ड्राई क्लीनिंग में कई तरह के केमिकल्स का इस्तेमाल होता है। कुछ रसायनों का छिड़काव किया जाता है और कुछ कपड़ों में डुबोया जाता है। मशीन से धोने के बाद भी कुछ रसायन कपड़ों में रह सकते हैं। जिससे सांस के जरिए शरीर में जाने का खतरा रहता है। इससे फेफड़ों में इंफेक्शन हो सकता है। कुछ मामलों में यह शरीर के अन्य अंगों को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
इस तरह सेव करें
अगर आप रोजाना या नियमित रूप से ड्राईक्लीन चीजों का इस्तेमाल करते हैं तो अभी से इस आदत को बदलना शुरू कर दें। कपड़े कम से कम ड्राई क्लीन कराएं। अगर आपको आवाज में कंपन, चाल में बदलाव या कोई अन्य लक्षण दिखाई देते हैं, तो न्यूरोलॉजिकल उपचार के लिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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