spot_img
Thursday, October 17, 2024
-विज्ञापन-

More From Author

Kanpur News: कानपुर में यूपी का पहला स्किन बैंक, त्वचा रोग के मरीजों को मिलेगा फायदा

Kanpur News: त्वचा रोग होने पर मुंह छिपाना नहीं पड़ेगा, क्योंकि हैलट अस्पताल में बर्न यूनिट में जल्द ही यूपी का पहला स्किन बैंक खुलेगा। स्किन बैंक में आने वाली स्किन बर्न पेशेंट्स की सर्जरी की जाएगी। जीएसवीएम कॉलेज में देहदान के तहत आने वाली बॉडी में से स्किन निकाल कर बैंक में सेफ रखी जाएगी और जरूरत के मुताबिक बर्न पेशेंट की सर्जरी में यूज़ की जाएगी। बताया जा रहा है कि देश का पहला स्किन बैंक 1972 में वाडिया चिल्ड्रन हॉस्पिटल मुंबई में खुला था। वहीं, अब हैलट में यूपी का पहला स्किन बैंक खुलेगा।

क्या होगी प्रक्रिया?

जीएसवीएम कॉलेज के प्लास्टिक सर्जन प्रो. प्रेम शंकर ने बताया कि आर्गन डोनेट एक्ट के तहत स्किन डोनेट करने और लेने दोनों ही स्थिति में वह सभी प्रक्रिया पूरी करनी होगी, जोकि अन्य बॉडी के ऑर्गन डोनेशन में की दाती हैं । उन्होंने बताया कि जल्द ही जीएसवीएम कॉलेज के हैलट हॉस्पिटल में स्किन बैंक की सुविधा कानपुर वासियों को मिलने लगेगी। जिसके बाद बर्न पेशेंट की कई समस्याएं दूर हो जाएंगी।

स्किन बैंक में पांच से छह साल सेफ रहेगी स्किन

डॉ. प्रेम शंकर ने बताया कि स्किन बैंक के डीप फ्रीजर में पांच से छह साल तक स्किन सेफ रहती है। इसके बीच में पेशेंट की रिक्वायरमेंट पर बर्न पेशेंट की प्लास्टिक सर्जरी कर नई स्किन लगाई जाती है। उन्होंने बताया कि पेशेंट को लगाई जाने वाली स्किन 21 दिन के बाद अपने आप निकल जाती है और उसके नीचे पेशेंट की बॉडी में नई स्किन डेवलप होने लगती है,जोकि नेचुरल की तरह उभरकर आती है. हैलट इमरजेंसी के सामने तैयार हो चुके बर्न यूनिट में ही स्किन बैंक बनाया जाएगा। जिससे बर्न पेशेंट को काफी राहत मिलेगी। देहदान के तहत मेडिकल कॉलेज में आने वाली बॉडी की स्किन को निकाल कर बैंक में सेफ रख लिया जाएगा। जोकि जरूरतमंद पेशेंट को दिया जाएगा।

सिर्फ थाई से निकाली जाएगी बेहतर क्वालिटी की स्किन

प्लास्टिक सर्जन के मुताबिक, देहदान के तहत मेडिकल कॉलेज में आने वाली बॉडी से स्किन सिर्फ पांच मिनट में निकाली जा सकेगी। इसका मुख्य कारण यह है कि बॉडी से सिर्फ थाई से ही बेहतर क्वालिटी की स्किन निकलती है, जोकि आसानी से दूसरी बॉडी में सर्जरी कर लगाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि थाई की स्किन मोटी और क्वालिटी में भी अच्छी होती है।

Kanpur: नकली दवा घोटाला, मरीजों को सॉल्ट की जगह खिलाया जा रहा चॉक

प्लास्टिक सर्जरी के आते पांच से छह पेशेंट

हैलट के सर्जरी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर के मुताबिक हॉस्पिटल में हर सप्ताह पांच से छह पेशेंट मेजर सर्जरी के आते है। जिनकी अभी तक प्राइवेट हॉस्पिटल में लाखों रुपए खर्च कर प्लास्टिक सर्जरी की जाती है। यह स्किन उनके ही थाई से निकाल कर बर्न वाले भाग में लगाई जाती है। इसके अलावा मुम्बई व दिल्ली में स्किन बैंक की सुविधा है। जहां पर बर्न पेशेंट दूसरे की स्किन को प्लास्टिक सर्जरी कर लगवा सकते हैं। अब यह सुविधा जल्द ही हैलट हॉस्पिटल में भी मिलेगी।

रिएक्शन की दिक्कत नहीं?

डॉ, प्रेमशंकर ने बताया कि पार्थिव देह की त्वचा की पतली परत एपी डर्मिस, डर्मिस निकाली जाती है। यह ड्रेसिंग मैटिरियल की तरह काम करती है। इससे किसी तरह के रिएक्शन की दिक्कत नहीं होती है। किसी भी ब्लड ग्रुप के पार्थिव शरीर की त्वचा किसी को लगाई जा सकती है। बर्न रोगियों के जख्मों पर त्वचा न होने से शरीर का फ्लुइड निकलता रहता है और इसमें प्रोटीन भी निकल जाता है।

कब तक बनेगी नई स्किन?

दो सप्ताह में रोगी की अपनी त्वचा बनने लगती है और ऊपर से ड्रेसिंग मैटीरियल के रूप में लगाई गई दान की त्वचा पपड़ी बनकर निकल जाती है। ऊपर से लगाई गई त्वचा दो सप्ताह तक जिंदा रहती है। देहदानी के निधन के आठ घंटे के अंदर त्वचा की पर्त निकाल ली जाती है।

क्या होता है स्किन बैंक?

स्किन बैंक भी ब्लड बैंक की तरह होता है। यहां त्वचा को एक शीशी में भरकर माइनस तापमान में रखा जाता है। बैंक में पांच से छह साल तक त्वचा सुरक्षित रखी जा सकती है। रखने से पहले त्वचा में संक्रमण आदि की भी जांच की जाती है।

Latest Posts

-विज्ञापन-

Latest Posts