Pain in Spinal Cord: आज की भागती दौडती लाइफ में मोबाइल फोन आपके जीवन का एक अहम हिस्सा बन गया है। लेकिन अधिक गर्दन झुकाकर घंटों मोबाइल फोन चलाने से कई खतरनाक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। एक अध्ययन में पता चला है कि इससे रीढ़ के गुरिये खराब हो रहे हैं और इससे शरीर की तंत्रिकाओं में दर्द भर रहा है।
सबसे ज्यादा हैरानी की बात यह है कि इस दर्द में दवाएं भी बहुत प्रभावी नहीं हैं। सांस लेने में दिक्कत के साथ ही हाथ के पंजों की पकड़ ढीली हो जा रही है और पैरों तक झनझनाहट महसूस होती है। मोबाइल फोन और लैपटॉप पर अधिक देर तक समय देने वाले ढाई सौ रोगियों के अध्ययन में यह खुलासा हुआ है।
यह अध्ययन कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज के पेन मेडिसिन विभाग ने किया है। इसमें सामने आया है कि गलत पोस्चर की वजह से स्पाइनल कॉर्ड (Spinal Cord) और मांसपेशियों में दिक्कत आ रही है। डिस्क के अलावा मांसपेशियों में इंजरी हो जाती है।
स्पाइनल कॉर्ड में हो रही दिक्कत
स्पाइनल कॉर्ड से पूरे शरीर का तंत्रिका तंत्र जुड़ा होता है। इससे गर्दन से लेकर पैर के तलवे तक प्रभावित हो जाते हैं। अधिक गर्दन झुकाकर मोबाइल फोन देखने का असर रीढ़ पर आता है। ज्यादातर रोगियों के स्पाइनल कॉर्ड की सी-5, सी-6 और सी-7 गुरिया में दिक्कत मिली है।
पेन मेडिसिन विभाग के नोडल अधिकारी और अध्ययन के अगुवा डॉ. चंद्रशेखर सिंह का कहना है कि गर्दन नीचे करने से रीढ़ पर प्रेशर आता है। इससे डिस्क के पीछे की तरफ दरार बन जाती है। डिस्क में लुगदी की तरह भरा रहने वाला न्यूक्लियस पल्कोसिस द्रव्य बाहर आ जाता है। इससे रोगियों की तंत्रिकाएं दबने लगती हैं। पहले गर्दन में दर्द होता है, इसके बाद कंधों, बाहों और मांसपेशियों में दर्द होने लगता है।
रीढ़ पर दबाव बढ़ने से पैरों तक आती समस्या
मांसपेशियां कमजोर होने से हाथों की पकड़ ढीली हो जाती है। जिन रोगियों की रीढ़ (Spinal Cord Problems) पर ज्यादा दबाव बढ़ गया था, उनके पैरों पर भी असर आ गया। उनके पैरों की चप्पल छूट जाती थी और कदम सही नहीं पड़ते।
तंत्रिकाओं में दिक्कत होने से फेफड़ों और डायाफ्राम पर भी असर आता है। इससे सांस लेने में परेशानी महसूस होती है। अगर रोग बहुत पुराना हो गया और उसने आदत में सुधार न किया तो फिर संवेदनशीलता पर प्रभाव आता है और पखाना, पेशाब आने पर पता नहीं चलता। उन्होंने बताया कि रोगियों में पुरुष और महिलाएं दोनों रहे हैं।
गलत पोस्चर की वजह से स्पाइनल कॉर्ड और मांसपेशियों में दिक्कत आ रही है। डिस्क के अलावा मांसपेशियों में इंजरी हो जाती है। स्पाइनल कॉर्ड से पूरे शरीर का तंत्रिका तंत्र जुड़ा होता है। इससे गर्दन से लेकर पैर के तलवे तक प्रभावित हो जाते हैं। अगर तुरंत इसमें एहतियात न बरतें, तो बड़ी समस्या पैदा हो जा रही है।
डॉ. चंद्रशेखर सिंह, नोडल अधिकारी पेन मेडिसिन विभाग, जीएसवीएम
250 मरीजों पर किया गया अध्ययन
- महिला रोगी 60 फीसदी, आयु वर्ग 18 से 35 वर्ष
- पुरुष रोगी 40 फीसदी, आयु वर्ग 30 से 50 वर्ष
इस तरह करें बचाव
- मोबाइल फोन देखने में गर्दन बहुत देर तक झुकाकर न रखें।
- फोन, कंप्यूटर स्क्रीन देखते समय रीढ़ को सीधा रखें, अधिक झुकाएं मत।
- कंप्यूटर पर लगातार 50 मिनट काम करने के बाद 10 मिनट का ब्रेक लें।
- गर्दन पीछे की तरफ ले जाएं, कंधों को घुमाएं।
- दाएं हाथ में मोबाइल लें और बाएं हाथ से कोहनी को सपोर्ट करें।
- कोहनी या बाएं हाथ में दर्द हो तो टाइम ओवर समझें, फोन देखना बंद करें।