UTI infection: ठंड के मौसम में अक्सर लोग कम पानी पीते हैं, लेकिन अगर आप पानी कम पी रहे हैं, लेकिन फिर भी बार-बार पेशाब आ रहा है तो यह अच्छे संकेत नहीं हैं। लोगों का मानना है कि पसीना न आने की वजह से बार-बार पेशाब आ रहा है, जबकि वजह कुछ और ही है। इससे शरीर में यूटीआई इंफेक्शन शुरू हो जाता है, जो धीरे-धीरे क्रोनिक किडनी डिजीज का रूप ले सकता है। ऐसे में यूरिन से जुड़ी इस समस्या को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
यूटीआई इंफेक्शन के कारण भी किडनी में इंफेक्शन हो जाता है। जो आगे चलकर किडनी की गंभीर बीमारी बन सकती है। ज्यादातर मामलों में किडनी की बीमारी की शुरुआत यूटीआई इंफेक्शन से ही होती है। ऐसे में इस संक्रमण से बचाव जरूरी है। आइए विशेषज्ञों से जानते हैं कि यूटीआई इंफेक्शन क्यों होता है और इससे कैसे बचा जा सकता है।
सफदरजंग अस्पताल में नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. कर्म शर्मा बताते हैं कि यूटीआई इंफेक्शन को यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन कहा जाता है। यह बीमारी महिलाओं में ज्यादा देखी जाती है, लेकिन इसके मामले पुरुषों में भी आते हैं। यह रोग तब होता है जब बैक्टीरिया मूत्र पथ को संक्रमित करते हैं। यह रोग सर्दियों में बहुत ही आम होता है। अगर इसका समय पर इलाज न किया जाए तो यह इंफेक्शन किडनी को पूरी तरह से खराब कर सकता है। इसके साथ ही यह किडनी फेल होने का कारण भी बन सकता है।
बचाव के तरीके क्या हैं
डॉ. शर्मा कहते हैं कि यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन से बचाव के लिए इस मौसम में भी रोजाना कम से कम सात से आठ गिलास पानी पीना जरूरी है। इससे शरीर हाइड्रेट रहेगा और यूरिन इंफेक्शन का खतरा भी कम होता है।
साफ-सफाई का ध्यान रखना भी जरूरी है। अपने शौचालय को साफ रखें और पेशाब करने के बाद प्राइवेट पार्ट को भी साफ करें। अन्यथा, गंदे बैक्टीरिया मूत्र पथ में प्रवेश कर जाएंगे, जिससे यूटीआई संक्रमण हो जाएगा।
अगर बार-बार पेशाब आता है, पेशाब के रंग में बदलाव आता है, पेशाब से बदबू आती है तो यह भी यूटीआई इंफेक्शन हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर्स से सलाह लें।
यूटीआई के कुछ मरीज अपने आप ठीक हो जाते हैं, लेकिन पेशाब संबंधी समस्या लगातार बनी रहे तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। यह एंटीबायोटिक्स के जरिए ठीक हो जाता है।