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Kanpur: सीसामऊ सीट पर भाजपा के 80 दावेदार, 10 नामों की लिस्ट में सियासी सरगर्मी बढ़ी

Kanpur: कानपुर की चर्चित सीसामऊ सीट पर प्रस्तावित उपचुनाव को लेकर भाजपा में अंदरखाने से सियासत तेज हो गई है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक टिकट की दौड़ में 80 से ज्यादा लोग हैं, लेकिन बीते दिनों 10 नामों की लिस्ट बनाकर प्रदेश अध्यक्ष को सौंपी गई है। पार्टी ने इन 10 नामों पर सर्वे भी शुरू करा लिया है, लेकिन पार्टी के विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक 10 नामों की लिस्ट में भी एक ब्राह्मण, एक वैश्य और एक दलित चेहरे के नाम पर पार्टी ने सर्वे कराना शुरू कर दिया है। भाजपा सरकार आने के बाद सीसामऊ सीट पर भाजपा 2 बार ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाकर हार चुकी है। इस बार भाजपा अन्य वर्ग के चेहरे पर भी विचार कर रही है। हालांकि मामले में क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल ने बताया कि नामों की लिस्ट प्रदेश कार्यालय भेजी गई है। सर्वे कराया जा रह है।

क्षेत्रीय व्यक्ति को प्रत्याशी बनाने पर जोर

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पार्टी सूत्रों के मुताबिक भाजपा में सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र में निवास करने वाले भाजपा नेता को टिकट देने की मांग जोर पकड़ रही है। हालांकि इसमें भी कई नेताओं के नाम चल रहे हैं। पार्टी ने इस मांग पर विचार किया तो क्षेत्र के ब्राह्मण चेहरे पर पार्टी विचार कर सकती है।

इन दस दावेदारों में से एक को बनाया जा सकता प्रत्याशी

सलिल विश्नोई, एमएलसी
अनूप अवस्थी, क्षेत्रीय मीडिया प्रभारी
सुरेश अवस्थी, पूर्व प्रत्याशी सीसामऊ
अनूप पचौरी, पुत्र पूर्व सांसद सत्यदेव पचौरी
सत्येंद्र मिश्रा, प्रदेश संयोजक स्वच्छता अभियान प्रकल्प
उपेंद्र पासवान, पूर्व विधायक, घाटमपुर
अजय कपूर, पूर्व विधायक
रघुनंदन भदौरिया, पूर्व विधायक
किशन लाल सुदर्शन, वरिष्ठ भाजपा नेता
संजय जाटव, भाजपा नेता

वैश्य और दलित समाज पर दिया जा रहा जोर

भाजपा इस सीट पर वैश्य और दलित समाज से आने वाले नेताओं पर भी विचार कर रही है। क्योंकि भाजपा से इस सीट पर तीन बार राकेश सोनकर विधायक रहे चुके हें। हालांकि परिसीमन के बाद वोट बैंक में बदलाव के बाद स्थितियां बदल गई हैं। वहीं सिख समाज ने भी पार्टी फोरम पर टिकट को लेकर दावा कर रहे हैं।

दलित समाज से 5 बार रहे विधायक

ये सीट वर्ष-1991 से 2002 तक लगातार 3 बार भाजपा के पास ही रही है। यहां से 3 बार राकेश सोनकर विधायक रहे। जबकि इसके बाद 2002 से 2012 तक कांग्रेस से संजीव दरियाबादी के पास रही। दोनों ही विधायक दलित चेहरे के रूप में यहां से जीत कर आए। भाजपा बीते चुनावों पर ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगा रही है, लेकिन हार का मुंह ही देखना पड़ रहा है। इस बार पार्टी दलित चेहरे पर दांव लगा सकती है।

मुस्लिम वोट बैंक साधना बड़ी चुनौती, लोकसभा चुनाव में अच्छे नहीं आए थे परिणाम

इस मुस्लिम बाहुल्य सीट पर भाजपा को जीत दर्ज करने के लिए ब्राह्मण और दलितों को एकजुट करना होगा। क्योंकि मुस्लिम मतदाता भाजपा से खासा नाराज हैं। लोकसभा चुनाव में भी भाजपा सीसामऊ विधानसभा बुरी तरह हार चुकी है। ऐसे में भाजपा को मुस्लिम वोटबैंक को साधने के लिए कड़ी मशक्कत करनी होगी।

ज्यादा दावेदार होने से भाजपा की बढ़ रही चुनौतियां

पार्टी में 80 से ज्यादा टिकट के दावेदार अब तक सामने आ चुके हैं। ऐसे में पार्टी में अंतर्विरोध कम से कम हो, पार्टी ऐसे नाम पर विचार करना चाहती है। हालांकि पार्टी ने 3 नामों पर सर्वे शुरू करा दिया है। भाजपा ऐसे नाम को सामने लाना चाहती है, जिस पर सभी की सहमति बन जाए। हालांकि टिकट के दावेदार दिल्ली की परिक्रमा भी लगा रहे हैं। बैरिस्टर परिवार से भी किसी महिला सदस्य को टिकट मिलने का दावा सूत्र कर रहे हैं। हालांकि नीतू सिंह मेयर चुनाव में भी टिकट की मांग कर रही थी, लेकिन टिकट उनको नहीं मिली थी।

इस प्रकार हैं सीसामऊ विधानसभा सीट पर मतदाता

मुस्लिम- 1,11,000
ब्राह्मण- 70,000
दलित- 60,000
कायस्थ- 26,000
सिंधी और पंजाबी- 6,000
क्षत्रिय- 6,000
अन्य पिछड़ा वर्ग- 12,411

विधानसभा चुनाव में किसे कितने वोट , साल-2022

सपा- 50.68 प्रतिषत
भाजपा- 42.83 प्रतिषत
कांग्रेस- 3.60 प्रतिषत
बसपा- 1.88 प्रतिषत

साल-2017

सपा- 47.35 प्रतिषत
भाजपा- 43.58 प्रतिषत
बसपा- 7.75 प्रतिषत

साल- 2012

स्पा- 42.17 प्रतिषत
भाजपा- 27.50 प्रतिषत
कांग्रेस- 16.44 प्रतिषत
बसपा- 11.83 प्रतिषत

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