Home Minister Amit Shah: बयान के बाद से विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए एतराज ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। मायावती ने 24 दिसंबर को देशव्यापी आंदोलन की घोषणा की है, कांग्रेस द्वारा उठाई गई मांगें भी इस बात की ओर इशारा करती हैं कि यह विवाद केवल एक बयान तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे भी बड़ा राजनीतिक संघर्ष चल रहा है। कांग्रेसियों का यह कहना कि गृहमंत्री को नैतिक रूप से अपना पद छोड़ देना चाहिए, यह दर्शाता है कि वे इस मुद्दे को कैसे भुनाने की कोशिश कर रहे हैं।
राजनीतिक दलों की अगली कार्यवाही क्या होगी
इस मुद्दे पर राजनीतिक हंगामा बढ़ता जा रहा है। इस बीच, सत्ता पक्ष के प्रतिनिधियों ने भी विपक्ष के प्रति आक्रामक रुख अपनाया है। उनका कहना है कि बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर, जिन्होंने भारतीय संविधान की नींव रखी, पर की गई टिप्पणी को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता। इस स्थिति ने निश्चित रूप से संसद में राजनीतिक चर्चा को और अधिक गर्म कर दिया है, और यह देखना होगा कि यह मामला आगे किस दिशा में बढ़ता है।
यह एक संवेदनशील मुद्दा है
जो न केवल राजनीतिक दलों के बीच की खींचतान को बढ़ा रहा है, बल्कि संविधान और उसके निर्माता बाबासाहेब अंबेडकर के प्रति सभी दलों की जिम्मेदारी और सम्मान को भी सवालों के घेरे में ला रहा है। दलित समुदाय के प्रति संवेदनशीलता के मुद्दे पर बहस को भी जन्म दे रहा है, सरकार इस विवाद को कैसे संभालेगी।