संगीत सोम के बयान ने सरकारी सिस्टम पर उठाए सवाल
-हाई लाईट्स-
जन प्रतिनिधियों में बढ़ रही नाराजगी की वजह क्या है ?
क्यों सिस्टम पर बरस रहे सत्तारूढ़ दल के नेता ?
क्यों संगीत सोम के ही सामने आते हैं ऐसे बोल ?
बीजेपी हाईकमान की चुप्पी क्यों ?
राहुल शर्मा
Lucknow(यूपी)। अफसर सही से काम नहीं करेंगे तो जूते से पिटवाउंगा। इस तरह का बयान देना, फिर वीडियो वायरल होने पर मीडिया के सामने सीना ठोककर कहना कि हां मैने कहा है ये, और करवाउंगा भी। नेता-जनप्रतिनिधियों ने विवादित बयान तो गाहे-ब-गाहे दिए हैं, मगर अपने वायरल वीडियो की स्वीकरोक्ति करना और डंके की चोट पर अफसरों को पिटवाने की बात दोहराने की घटना ये पहली ही है। बीजेपी के पूर्व विधायक संगीत सोम का ये विवादित बयान ये सोचने को मजबूर करने वाला है कि आखिर इस तरह के हालात क्यों हैं ? क्यों सरकारी मशीनरी के खिलाफ इस तरह की खुली बगावत और सिस्टम को खुली चुनौती देने की नौबत आ रही है ? यूपी की सरकार से लेकर अफसरों तक को इस बारे में सोचना होगा।
ये दिया संगीत सोम ने विवादित बयान
विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले भाजपा के फायरब्रांड नेता और पूर्व विधायक संगीत सोम ने मुरादाबाद में रविवार को कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र में हुए अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के स्वाभिमान एवं हित चिंतन समारोह में ये बयान दिया। संगीत सोम ने अधिकारियों को जूतों से पिटवाने की धमकी दे डाली। और भी बहुत कुछ बोले संगीत सोम। पहले उनका बयान सुन लें।
सरकार आपकी, अफसर आपके फिर भी क्यों ?
सत्ता आपकी, अफसर आपके फिर आखिर ऐसी क्या मजबूरी कि खुद बीजेपी के ही पूर्व विधायक अपनी सरकार के अफसरों को जनता के जूते से पिटवाने की धमकी दे रहे हैं ? आखिर इसके पीछे वजह क्या है ? क्य़ों बीजेपी के ही नेता इस तरह के बयान सार्वजनिक मंच से दे रहे हैं ? ये एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब बीजेपी के बड़े नेताओं को ही तलाशना होगा। कहीं न कहीं कुछ तो ऐसा है जो खुद बीजेपी के ही नेता और जनप्रतिनिधियों के सामने दिक्कत पैदा करने वाला है। उस वजह को तलाशकर बीजेपी को हालात ठीक करने होंगे, वरना उप-चुनाव से पहले न सिर्फ विपक्ष को हथियार के रूप में ये काम करेगा बल्कि जनता में भी योगी सरकार की किरकिरी होनी तय है।
पहले भी बिगड़े संगीत सोम के बोल
–क्षत्रीय समाज को फिर से शस्त्र उठाने होंगे। सर तन से जुदा करने वाले लोगों को क्षत्रीय समाज को देना होगा जवाब।
–वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर कहा कि 1992 में बाबरी और 2022 में ज्ञानवापी की बारी है। बाबरी की तरह अब ज्ञानवापी को भी लेने का समय आ गया।
–सीए के खिलाफ दिल्ली में धरना दे रही महिलाओं को कहा उन्हें कोई काम-धाम नहीं। विदेशी फंडिंग की वजह से प्रदर्शन कर रही हैं।
–शर्जिल इमाम देश का बंटवारा करना चाहता है, उसे बीच चौराहे पर लटकाकर फांसी दी जानी चाहिए।
–देवबंद के दारुल उलूम मदरसे को बताया आतंकियों की पनागाह और आतंकियों का अड्डा।
–मेरठ की चुनावी सभा में बोले-हिन्दुस्तान और पाकिस्तान में हो रहा है चुनाव। बीजेपी को हिन्दुस्तानी और विपक्ष को बताया था पाकिस्तानी।
अफसरों पर ये भी बरस रहे
लोनी विधायक नंदकिशोर गूर्जर-ऐसा नहीं है कि योगी सरकार में सिर्फ संगीत सोम ही ऐसे हैं जो सरकारी तंत्र के खिलाफ आग उगल रहे हैं बल्कि इनसे पहले लोनी से बीजेपी के विधायक नंदकिशोर गूर्जर भी लगातार पुलिस कमिश्नर के खिलाफ अटपटे बयान देते रहे हैं। जहां नंदकिशोर गूर्जन ने पुलिस कमिश्नर को अंग्रेजी अफसर वायसराय तक बताया वहीं उनके नेतृत्व में गाजियाबाद पुलिस को अपराधियों और बलात्कारियों को संरक्षण देने वाला तक कहा। नंदकिशोर ने ये भी आरोप लगाया था कि कुछ अफसर सपा के एजेंट के रूप में योगी सरकार की छवि बिगाड़ने का काम करे हैं।
आगरा विधायक ने कमिश्नरेट को कहा था ‘कमीशन रेट‘–आगरा कैंट से बीजेपी के विधायक और यूपी के पूर्व मंत्री डा. जी.एस.धर्मेश ने चंद रोज पहले ही ये बयान दिया था कि आगरा में कमिश्नरेट नहीं बल्कि कमीशन रेट चल रहा है। उन्होंने पुलिस पर पैसे लेकर आरोपियों को थाने-चौकियों से छोड़ने का आरोप लगाया था। बाकायदा उन्होंने इस बाबत मीडिया को एक पत्र भी जारी किया था।
अफसरों को भी करना होगा आत्मचिंतन
आखिर क्या वजह है कि अपनी ही पार्टी की सरकार में बीजेपी के नेता और जनप्रतिनिधि सरकारी सिस्टम और उसकी कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं ? आखिर क्या वजह है कि नेता और जनप्रतिनिधियों की भाषा सरकारी तंत्र के खिलाफ विपक्ष जैसी होती जा रही है ? आखिर क्या कारण है कि बीजेपी के ही नेता और जनप्रतिनिधि सरकारी अफसरों के खिलाफ लगातार ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते जा रहे हैं जो इससे पहले किसी सत्तारूढ़ दल के नेता या जनप्रतिनिधि द्वारा इस्तेमाल नहीं किए गए ? बीजेपी के साथ-साथ योगी सरकार में बैठे उच्चाधिकारियों को भी इस पर आत्मचिंतन करना होगा।