Aayurveda: कुछ लोग कहते हैं कि रात में दही नहीं खानी चाहिए। लेकिन क्या वाकई ऐसा है और अगर तो क्यों? रात में दही खाएं या नहीं, दही की तासीर गर्म है या ठंडी वगैराह। इन सभी बातों को लेकर अक्सर बहस होती है। कुछ कहते हैं इसे पचाना आसान और कुछ कहते हैं कि इसे पचाना मुश्किल है। इन सभी बातों ने आपको कंफ्यूज कर दिया होगा। अगर ऐसा है तो आपको आयुर्वेदिक के कुछ इंटरेस्टिंग फैक्ट्स के बारे में जरुर जानना चाहिए।
आयुर्वेद के अनुसार दही स्वाद में खट्टा, गर्म प्रकृति का होता है। इसी के साथ दही को पचाने में काफी समय लग जाता है। यह फैट बढ़ाता है, ताकत में सुधार, कफ और पित्त बढ़ाता है (कम वात), अग्नि में सुधार (पाचन शक्ति) करता है।
बारिश के मौसम में अक्सर लोग दही को गर्म करके खाने की सलाह देते हैं। जबकि दही को गरम नहीं करना चाहिए।
मोटापे, कफ विकार, ब्लीडिंग और सूजन की समस्या हो तो उन लोगों को दही से बचना सबसे अच्छा है।
रात के समय दही नहीं खाना चाहिए।
दही रोज नहीं खाना चाहिए। हालांकि, मट्ठा छाछ जिसमें सेंधा नमक, काली मिर्च और जीरा जैसे मसाले मिलकर रोजाना डायट में शामिल किया जा सकता है।
अपने दही को फलों के साथ न मिलाएं क्योंकि ये चैनल ब्लॉकर है। लंबे समय तक खाने से मेटाबॉलिज्म संबंधी समस्याएं और एलर्जी हो सकती है।
अगर आप दही खाना चाहते हैं तो इसे कभी-कभार दोपहर के समय और कम मात्रा में लें। जिन लोगों के पास य नहीं है उनके लिए सबसे अच्छा ऑप्शन छाछ है।