Chawal Ki Kheer: समा चावल, जिसे अंग्रेजी में “बार्नयार्ड मिलेट” कहा जाता है, एक प्रकार का अनाज है जिसका उपयोग अक्सर अनाज के स्थान पर किया जाता है। यह चावल ग्लूटेन मुक्त और पोषक तत्वों से भरपूर है। आहार में इसका उपयोग करने से यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम और विटामिन बी सहित कई महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की आपूर्ति करता है। इसके अलावा इस बाजरे का उपयोग रोटी, दलिया, खीर और उपमा के रूप में भी किया जाता है।
धार्मिक महत्व: हिंदू धर्म में समा के चावल को भगवान शिव और गणेश जी का प्रिय माना जाता है। कई धार्मिक ग्रंथों में व्रत के दौरान समा के चावल का सेवन करने का जिक्र मिलता है। इस चावल में सात्विक गुण पाए जाते हैं जिससे व्रत के दौरान मन को शांत और एकाग्र रखने में मदद करते हैं।
स्वास्थ्य लाभ: समा चावल फाइबर, प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम और विटामिन बी का अच्छा स्रोत है। यह उपवास के दौरान शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। समा चावल में मौजूद फाइबर पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करता है। समा चावल में मौजूद आयरन एनीमिया को दूर करने में मदद करता है। समा चावल में मौजूद कैल्शियम हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने में मदद करता है।
ऊर्जा स्रोत: सामा चावल कार्बोहाइड्रेट का भी अच्छा स्रोत है। यह व्रत के दौरान ऊर्जा प्रदान करने में मदद करता है। समा चावल में मौजूद कार्बोहाइड्रेट शरीर को लंबे समय तक ऊर्जा प्रदान करते हैं।
हल्का और सुपाच्य : समा का चावल हल्का और सुपाच्य होता है। इससे व्रत के दौरान पेट भारी नहीं होता है। समा के चावल से पेट में गैस और जलन नहीं होती है।
स्वाद
समा के चावल की खीर स्वादिष्ट होती है. यह व्रत के दौरान मीठे की इच्छा को पूरा करने में मदद करता है। समा चावल का हलवा कई तरह से बनाया जा सकता है, जैसे दूध, नारियल के दूध या दही के साथ। व्रत के दौरान आप समा के चावल की खीर के साथ-साथ समा के चावल की खिचड़ी, समा के चावल की पूरी या समा के चावल का उपमा भी खा सकते हैं. समा के चावल की खीर में आप किशमिश, काजू और बादाम जैसे सूखे मेवे डालकर इसे और भी स्वादिष्ट बना सकते हैं. व्रत के दौरान समा के चावल की खीर खाने के कई धार्मिक और स्वास्थ्य लाभ होते हैं. व्रत के दौरान ऊर्जा प्रदान करने के साथ-साथ यह पाचन क्रिया को बेहतर बनाने और पेट को भारी नहीं बनाने में भी मदद करता है।