Chandni Chowk Name History: दिल्ली का चांदनी चौक देखने के लिए देश से ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग आते हैं। आप कभी वहां गए हों तो देखा होगा कि विदेशी पर्यटक वहां घूमते रहते हैं। लाल किले के करीब चांदनी चौक न सिर्फ घूमने बल्कि शॉपिंग करने के लिए भी फेमस है। साथ ही ये एक टूरिस्ट प्लेस भी है जहां रोजाना हजारों की संख्या में लोग आते हैं, लेकिन क्या कभी आपके दिमाग में ये प्रश्न नहीं उठा कि आखिर उसका नाम चांदनी चौक क्यों रखा।
कब और क्यों बना चांदनी चौक (Chandni Chowk Name History)
दिल्ली का चांदनी चौक घूमने से साथ-साथ शॉपिंग का भी गढ़ है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि चांदनी चौक कब और क्यों रखा? बता दें कि चांदनी चौक शाहजहां के काल में 17वीं सदी में लगभग 1650 के दौरान बनाया गया था। चांदनी चौक के बनने के पीछे की कहानी की बात करें तो कहा जाता है कि शाहजहां की बेटी जहान आरा को नायाब चीजें खरीदने का बहुत शौक था। सामान खरीदने के लिए वो देश-विदेश से सामान खरीदने जाती थीं। लेकिन शाहजहां को अपनी बेटी से बहुत प्यार था, ऐसे में वो नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी उनसे दूर जाए तो उन्होंने चांदनी चौक मार्केट बनवाया।
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क्यों पड़ा इसका नाम चांदनी चौक (Chandni Chowk Name History)
कहा जाता है कि चांदनी चौक को चांद के आकार का बनवाया गया था। शुरुआत में चांदनी चौक को चौकोर आकार में बनाया गया था ये कुछ-कुछ आधे चांद के जैसा लगता था। अलग स्टाइल में बना होने और चांद के आकार का दिखने की वजह से इसका नाम चांदनी चौक पड़ा। वहां पर एक तालाब भी बनवाया गया था।
चांदनी चौक के आसपास की फेमस जगहें (Chandni Chowk Name History)
पता हो कि उस समय जो तालाब बना था उसे साल 1950 में घंटाघर में तब्दील कर दिया। इसके अलावा चांदनी चौक में 1863 में टाउन हॉल भी बना दिया गया, साथ ही लाल किला पहले से ही चांदनी चौक का ताज बना हुआ था। बाद में यहां गुरुद्वारा, जैन मंदिर, गौरी शंकर मंदिर और कई चीजें बनाई गईं जिन्हें देखने के लिए लोग दूर दूर से यहां आते हैं। साथ ही यहां पर शॉपिंग करने के लिए भी आते हैं, कहा जाता है कि इस मार्केट में आपको हर सामान मिल जाता है। खास तौर पर जब किसी के घर में शादी होती है तो पहली शॉपिंग की जगह का नाम ही चांदनी चौक होता है।