देव दिवाली, या देव दीपावली, वास्तव में हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो आध्यात्मिक अर्थ और अनुष्ठानों से समृद्ध है। कार्तिक माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है, यह चिंतन, भक्ति और विश्वास का समय दर्शाता है, विशेष रूप से भगवान शिव का सम्मान करता है – जो विनाश और पुनर्जनन का प्रतीक है।
देव दीपावली महत्व:
गंगा में स्नान: पवित्र गंगा नदी में अनुष्ठानिक स्नान करना एक शुद्धिकरण कार्य है जो शरीर और आत्मा की सफाई का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि गंगा में पापों और दुर्भाग्य को धोने की शक्ति है, जिससे यह भक्तों के लिए एक पवित्र तीर्थ बन जाती है।
दीपक जलाना: गंगा के तट पर, विशेष रूप से हरिद्वार में हर की पौड़ी पर, 365 दीपक जलाने का कार्य, पूजा और भक्ति की एक वर्ष लंबी यात्रा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। प्रत्येक दीपक वर्ष के एक दिन का प्रतिनिधित्व करता है, जो निरंतर भक्ति और दैनिक आध्यात्मिक प्रथाओं के महत्व पर प्रकाश डालता है।
आध्यात्मिक शुद्धि और आशीर्वाद: दीपक जलाना केवल एक सौंदर्यपूर्ण उत्सव नहीं है दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने में इसका गहरा महत्व है। भक्तों का मानना है कि इन अनुष्ठानों को करने से, वे पिछले वर्ष के संचित पापों और दुखों को दूर कर सकते हैं और आने वाले वर्ष में सुख, शांति और समृद्धि ला सकते हैं।
मोक्ष की यात्रा:
प्रमुख लक्ष्य मोक्ष, या जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति प्राप्त करना है। इन प्रथाओं के माध्यम से भगवान शिव का सम्मान करके, भक्त जीवन की चुनौतियों से निपटने और अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए उनकी कृपा चाहते हैं।