Diwali 2023 Lakshmi Puja Shubh Muhurat– पूरा देश आज दिवाली का पर्व मना रहा है. भगवान राम के अयोध्या आगमन का ये त्योहार हर भारतवासी के लिए विशेष स्थान रखता है. और दीपावली पर होने वाली पूजा भी अहम होती है. लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी होता है मुहूर्त. क्योंकि कोई भी शुभ कार्य शुभ मुहूर्त पर ही करना चाहिए. सनातन धर्म की यही खूबसूरती और परंपरा है.
शास्त्रों में दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के लिए प्रदोष काल, स्थिर लग्न के मुहूर्त जोकि वृषभ लग्न माना जाता है, निशीथ काल का मुहूर्त और चौघड़िया के मुहूर्त को देखकर पूजा की जाती है। आइए जानते हैं दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहूर्त कौन-कौन से हैं…
दिवाली लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त
कार्तिक अमावस्या तिथि आरंभ- 12 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से
कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्त- 13 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 56 मिनट तक
प्रदोष काल का मुहूर्त
12 नवंबर 2023 को प्रदोष काल शाम 5 बजकर 29 मिनट से रात 08 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। इस दौरान वृषभ काल यानी स्थिर लग्न शाम 05 बजकर 40 मिनट से 07 बजकर 36 मिनट तक रहेगा।
लक्ष्मी पूजा के प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 40 मिनट से शाम 07 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। इस तरह से दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के लिए लगभग 01 घंटा 55 मिनट का समय मिलेगा।
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- 05:40 से 07:36 तक
अवधि- 1 घंटे 55 मिनट
प्रदोष काल- 05:29 से 08:07 तक
वृषभ काल- 05:40 से 07 :36 तक
दिवाली लक्ष्मी पूजा का महानिशीथ काल मुहूर्त
दिवाली पर प्रदोष काल के अलावा निशीथ काल के मुहूर्त में भी महालक्ष्मी पूजा करने का विधान होता है। इस मुहूर्त को भी अच्छा मुहूर्त माना जाता है। 12 नवंबर 2023 को महानिशीथ काल का मुहूर्त रात 11 बजकर 39 मिनट से रात 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में पूजा के लिए लगभग 52 मिनट का समय मिलेगा।
दिवाली महानिशीथ काल पूजा मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- 11:39 से 12:31 तक
अवधि- 52 मिनट
महानिशीथ काल- 11:39 से 12:31 तक
सिंह काल- 12:12 से 02:30 तक
दिवाली शुभ चौघड़िया पूजा मुहूर्त
अपराह्न मुहूर्त (शुभ)- 01:26 से 02:47 तक
सायंकाल मुहूर्त (शुभ, अमृत, चल)- 05:29 से 10:26 तक
रात्रि मुहूर्त (लाभ)- 01:44 से 03:23 तक
उषाकाल मुहूर्त (शुभ)- 05:02 से 06:41 तक
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- रात 11 बजकर 38 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक
अवधि – 52 मिनट तक
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के मुहूर्त का बहुत महत्व
एक अन्य धार्मिक मान्यता के अनुसार कार्तिक अमावस्या तिथि पर समुद्र मंथन के दौरान क्षीरसागर से मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं और भगवान विष्णु ने पत्नी के रूप में इन्हे स्वीकार किया था। हिंदू धर्म में दीपावली पर यानी कार्तिक अमावस्या की तिथि पर प्रदोष काल के दौरान मां लक्ष्मी की पूजा विधि-विधान से की जाती है। इसलिए दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा प्रदोष काल में किया जाना सबसे उपयुक्त माना जाता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को प्रदोष काल कहा जाता है।
दीपावली पर प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न होने पर पूजा करने का विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि दीपावली की रात को स्थिर लग्न में अगर देवी लक्ष्मी की पूजा की जाए तो भक्त के घर पर मां लक्ष्मी अंश रूप में ठहरकर वास करने लगती हैं। इसके अलावा दिवाली पर महानिशीथ काल के दौरान भी लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व होता है। महानिशीथ काल में लक्ष्मी पूजा तांत्रिक, साधक और कर्म कांड वाले पंडित के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त माना जाता है। महानिशीथ काल में मां काली की पूजा करने का विधान होता है।