Health tips: भारत में नॉन वेजिटेरियन लोगों के बीच रेड मीट खाने वालों की काफी मात्रा है। ये ज्यादातर मांसाहारी लोगों की डेली डाइट का हिस्सा भी है। हालांकि कई लोग इसे स्वास्थ्य के लिए अच्छा तो कई लोग खराब मानते हैं। यही वजह है कि रेड मीट के शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर अक्सर रिसर्च होती रहती हैं। हाल ही में एक नई रिसर्च आई है जिसके बाद रेड मीट को लेकर आपकी काफी आशंकाएं दूर हो जाएंगी।
क्या होता है रेड मीट
रेड मीट स्तनधारी प्रजातियों के मांस को कहा जाता है जिसमें बीफ, पोर्क, भेड़ आदि शामिल हैं। इसमें प्रोटीन, आयरन, जिंक, विटामिन डी और ओमेगा –3 फैटी एसिड काफी मात्रा में पाया जाता है जो शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
रिसर्च में मिले नतीजे
हाल ही में अमेरिका के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) ने करीब 180 इलाकों के लोगों पर हुई रिसर्च का विश्लेषण किया है जिसके बाद बताया कि अनप्रोसेस्ड रेड मीट के ज्यादा सेवन का स्ट्रोक के साथ कोई मजबूत संबंध नहीं पाया गया। इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति अनप्रोसेस्ड रेड मीट का रोज सेवन करता है तो इसका मतलब ये नहीं कि उसे स्ट्रोक का जोखिम होगा ही।
रिसर्च के मुताबिक धूम्रपान, रेड मीट और सब्जियों से शरीर पर पड़ने वाले अलग-अलग प्रभावों पर जांच की गई है और इस दौरान मिले नतीजों को एक से पांच की रेटिंग में बांट दिया।
वहीं रेड मीट खाने से पेट का कैंसर, स्तन कैंसर, हृदय रोग और डायबिटीज होने के जोखिम को दो स्टार की रेटिंग दी गई.
रिसर्च ने किया साफ
बता दें कि धूम्रपान और फेफड़ों के कैंसर के बीच जोखिम को सबसे ज्यादा पांच स्टार रेटिंग दी गई। इस दौरान हाई ब्लड प्रेशर और दिल के रोग के बीच भी यही संबंध पाया गया। रिसर्च टीम ने साफ किया कि ये निष्कर्ष काफी ठोस हैं और भविष्य में इनके बदलने की संभावना नहीं है।
सब्जियों पर निष्कर्ष
इस रिसर्च में शोधकर्ताओं ने ज्यादा सब्जियां खाने से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर की जांच के लिए 34 देशों में 46 लाख लोगों पर 50 अध्ययन किए। जिसमें लोगों की डाइट में सब्जियों की मात्रा को शून्य से बढ़ाकर हफ्ते में चार दिन किया जिससे उनमें दिल के रोग के जोखिम में 23 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। इसके अलावा रिसर्च में ये भी पाया गया कि ज्यादा से ज्यादा सब्जियों का सेवन पुरानी बीमारियों को कम करने से जुड़ा है।