हिंदू धर्म में बजरंग बली की बहुत मान्यता है। कहा जाता है कि हनुमान जी आज भी धरती पर मौजूद है और उनसे मांगी गई सभी दुआ कबूल होती हैं। शास्त्र-पुराणों के अनुसार हनुमान जी को अमरता का वरदान प्राप्त था, जिसके कारण उन्हें चिरंजीवी माना जाता है। रामायण के सुंदरकांड में हनुमान जी की वीरता, बुद्धि और भक्ति का विस्तृत वर्णन है।
माता सीता ने हनुमान जी को दिया था अनमोल उपहार
भगवान श्री राम 14 वर्ष के कठिन वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। चारों ओर हर्षोल्लास का माहौल था। राज्याभिषेक की तैयारियां जोरों पर थीं। राज्याभिषेक के बाद सभी अतिथियों को उपहार दिए गए। माता सीता ने अपनी भक्ति और प्रेम का प्रतीक अनमोल मोतियों का हार हनुमान जी को भेंट किया। हनुमान जी ने हार को खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया।
हनुमान जी की विचित्र हरकत
कुछ देर बाद हनुमान जी ने एक विचित्र हरकत की। वे हार को अपने दांतों से काटने लगे। सभी दर्शक दंग रह गए। लक्ष्मण जी क्रोधित हो गए और उन्होंने माता सीता के उपहार का अपमान करने के लिए हनुमान जी को फटकार लगाई। हनुमान जी के इस कृत्य से भगवान राम भी आश्चर्यचकित थे। उन्होंने लक्ष्मण जी को शांत किया और यह कहा कि हनुमान बिना किसी कारण के ऐसा नहीं करते।
हनुमान का स्पष्टीकरण
हनुमान ने विनम्रतापूर्वक कहा, “हे प्रभु, माता सीता का यह हार मेरे लिए बहुत मूल्यवान है। लेकिन इन रत्नों में आप और माता सीता नहीं दिखाई दे रहे हैं।” यह सुनकर सभी दंग रह गए। हनुमान ने आगे कहा, “मैंने सोचा कि यदि आप दोनों इन रत्नों में निवास नहीं करते हैं, तो ये मेरे लिए बेकार हैं।”
लक्ष्मण ने अपनी छाती क्यों फाड़ी
लक्ष्मण ने हनुमान से पूछा, “यदि राम का नाम आपके लिए सर्वोपरि है, तो आपके शरीर पर भी राम का नाम नहीं है। फिर आप इस शरीर को क्यों धारण किए हुए हैं? आप इसे भी क्यों नहीं त्याग देते?” यह सुनते ही हनुमान जी ने तुरंत नाखूनों से अपनी छाती फाड़ दी। उस दौरान वहां मौजूद हर कोआ दंग रह गया। हनुमान के हृदय में भगवान राम और माता सीता की छवि दिखी यह देखकर सभी को भगवान राम के प्रति हनुमान की अटूट भक्ति का प्रमाण मिल गया। इस घटना के बाद दरबार में उपस्थित सभी लोगों ने हनुमान से क्षमा मांगी। उन्होंने हनुमानजी की भक्ति और समर्पण को नमन किया।