Makar Sankranti 2024: ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज कुमार द्विवेदी ने बताया कि मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य स्वयं अपने पुत्र शनि से मिलने उनके घर जाया करते हैं। इसलिए शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। इस दिन ही गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं। यह भी कहा जाता है कि गंगा को धरती पर लाने वाले महाराज भगीरथ ने इसी दिन अपने पूर्वजों के लिए तर्पण किया था। उनका तर्पण स्वीकार करने के बाद गंगा उसी दिन समुद्र में जाकर मिल गई थी। इसी कारण मकर संक्रांति पर गंगा सागर में मेला लगता है। तो चलिए आज मकर संक्रांति पर जानते हैं कुछ खास बाते…
इस तरह से अलग-अलग जगहों पर मनाई जाती है मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024)
महाभारत काल के महान योद्धा भीष्म पितामह ने भी अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति को ही चुना था। उत्तर भारत में इसे खिचड़ी आदि खाकर मनाया जाता है, जबकि गुजरात में इस त्यौहार को पतंग महोत्सव के रूप में बड़ी ही धूम धाम साथ मनाया जाता है। वहां के लोग खूब सज धजकर अलग-अलग जगहों पर मिकार पतंग उड़ाते हैं। ये सभी पतंगे भी काफी अलग-अलग तरीके की होती हैं।
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मकर संक्रांति के दिन दान करने का विशेष महत्व (Makar Sankranti 2024)
साथ ही अलग-अलग आस्थाओं के अनुसार इस त्योहार के व्यंजन भी अलग-अलग होते हैं, लेकिन दाल और चावल से बनी खिचड़ी इस त्योहार की मुख्य पहचान बन गई है। इस दिन खिचड़ी को गुड़ और घी के साथ खाने का विशेष महत्व है, यही वजह है कि इस त्योहार को उत्तर भारत में खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का भी बहुत महत्व है। मकर संक्रांति पर दान को उच्च प्राथमिकता दी जाती है। इस दिन तिल, खिचड़ी, गुड़ और कंबल का दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन कई लोग सभी जरूरत मंदों को कई चीजें दान करते हैं।