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Thursday, November 21, 2024
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Margashirsha 2024: हिंदू कैलेंडर, का पवित्र महीना महत्वपूर्ण तिथियाँ, और महत्व जानें!

Margashirsha 2024: हिंदू कैलेंडर का नौवां महीना, सनातन धर्म में बहुत महत्व रखता है और इसे सबसे पवित्र अवधियों में से एक माना जाता है, जिसे अक्सर अगहन कहा जाता है। यह पवित्र महीना आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर में नवंबर और दिसंबर के बीच आता है। 2024 में, मार्गशीर्ष शनिवार, 16 नवंबर को शुरू होगा और रविवार, 15 दिसंबर को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के साथ समाप्त होगा।

margashirsha 2024:

मार्गशीर्ष का महत्व

मार्गशीर्ष को एक दिव्य महीना माना जाता है जो भगवान कृष्ण की शिक्षाओं और आशीर्वाद का सार है। भगवद गीता में, भगवान कृष्ण कहते हैं, “महीनों में, मैं मार्गशीर्ष हूं” (अध्याय 10, श्लोक 35), इसके आध्यात्मिक महत्व पर जोर देते हुए। इस अवधि के दौरान, भक्त आशीर्वाद पाने और अपने जीवन को बढ़ाने के लिए उपवास, विशेष प्रार्थना और अनुष्ठानों में संलग्न होते हैं। आध्यात्मिक विकास.

मार्गशीर्ष 2024 की शुरुआत और समाप्ति

प्रारंभ तिथि: मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है, जो 16 नवंबर 2024 को सुबह 2:58 बजे शुरू होता है और उसी दिन रात 11:50 बजे समाप्त होता है। उदयातिथि (सूर्योदय आधारित गणना) के अनुसार, महीना आधिकारिक तौर पर 16 नवंबर से शुरू होता है।

समाप्ति तिथि: महीने का समापन 15 दिसंबर को होता है, जो मार्गशीर्ष पूर्णिमा, महीने की पूर्णिमा है। हिंदू परंपरा में प्रत्येक चंद्र माह कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को शुरू होता है और शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि (चंद्रमा के बढ़ते चरण) पर समाप्त होता है।

मार्गशीर्ष 2024 में व्रत और त्यौहार

मार्गशीर्ष माह को कई महत्वपूर्ण त्योहारों और व्रतों द्वारा चिह्नित किया जाता है, जिनमें से प्रत्येक के अपने अद्वितीय अनुष्ठान और अर्थ होते हैं:

16 नवंबर: वृश्चिक संक्रांति
18 नवंबर: गणाधिपा संकष्टी चतुर्थी
22 नवंबर: कालभैरव जयंती
23 नवंबर: कालाष्टमी
26 नवंबर: उत्पन्ना एकादशी
28 नवंबर: प्रदोष व्रत
29 नवंबर: मासिक शिवरात्रि
30 नवंबर: दर्श अमावस्या
6 दिसंबर: विवाह पंचमी
7 दिसंबर: चंपा षष्ठी
8 दिसंबर: भानु सप्तमी
11 दिसंबर: गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी
12 दिसंबर: मत्स्य द्वादशी
13 दिसंबर: प्रदोष व्रत
14 दिसंबर: दत्तात्रेय जयंती
15 दिसंबर: धनु संक्रांति और मार्गशीर्ष पूर्णिमा

यह अवधि न केवल भक्ति प्रथाओं को बढ़ावा देती है बल्कि सामुदायिक समारोहों और आध्यात्मिक आकांक्षाओं की पूर्ति को भी प्रोत्साहित करती है।

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