बच्चे के जन्म के बाद उसकी देखभाल करना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। ये जिम्मेदारी शारीरिक तौर पर काफी थकाऊ हो सकती है। और लगातार कुछ हफ्तों या महीनों तक नींद की कमी मां को मानसिक और शारीरिक रूप से थका देती है। ऐसे में आमतौर पर ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मां को नींद आना शुरु हो जाता है। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बॉडी ऑक्सीटोसिन रिलीज करता है। इस एक हार्मोन से ब्रेस्टफीडिंग के दौरान नींद आना आम बात है। इसी से जुड़ी जानकारी हम आपको देने जा रहे हैं कि क्या ब्रेस्टफीडिंग करवाते समय मां का सोना ठीक है या नहीं।
ब्रेस्टफीडिंग से सुस्ती आती है!
ब्रेस्टफीडिंग का सीधा संबंध नींद आने से नहीं भी हो तो इससे मां को सुस्ती जरूर आ सकती है। New Born बेबी को आमतौर पर हर दो से तीन घंटे में या 24 घंटे में 8 से 12 बार दूध पिलाना पड़ता है। इसकी वजह से मां की नींद पूरी नहीं हो पाती है। बच्चे को हर थोड़ी देर में दूध पिलाना एक बड़ा टास्क है। कई बार तो नींद पूरी न होने की वजह से मां सो जाती है या फिर उसे झपकी लगना शुरु हो जाता है।
दरअसल दूध पिलाते वक्त ऑक्सीटोसिन हार्मोन ब्रेस्ट में दूध के स्राव को बढ़ावा देता है। ये हार्मोन शांत, रिलैक्स और नींद लाता है। इसकी वजह से भी ब्रेस्टफीडिंग मदर को दूध पिलाते समय नींद आ सकती है। ऑक्सीटोसिन ब्रेस्टमिल्क के उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण हार्मोन है। ये मां को आराम का एहसास कराता है, जिससे रात में नींद अच्छी आती है।
ब्रेस्टफीडिंग के समय सोना कितना सही ?
बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराते समय सो जाना सही नहीं है क्योंकि इससे बच्चे को दूध पिलाने से संबंधित मृत्यु का खतरा होता है। अगर आप शिशु को गोद में लेकर सो रही हैं तो शिशु आपकी गोद से गिर सकता है। शिशु को छाती से छिपका कर रखने से उसे घुटन हो सकती है। आसान शब्दों में समझें तो बेबी को सडन इंफैंट डेथ सिंड्रोम का खतरा भी रहता है।
-इसलिए जब बच्चा सो जाए तो आपको पर्याप्त आराम करने की कोशिश करनी चाहिए।
-पौष्टिक आहार लें और पर्याप्त कैलोरी का सेवन करें। ऐसा करने से आपका एनर्जी लेवल बना रहेगा। क्योंकि ब्रेस्टफीडिंग से रोजाना 500 कैलोरी बर्न होती है।
-नींद न आने के लिए अपने आप को किसी एक्टिविटी में बीजी रखें जैसे किताब पढ़ना, संगीत सुनना, टीवी देखना या अपने फोन पर कोई गेम खेलना।