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Monday, December 23, 2024
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Sawan Shivratri 2024: तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा अनुष्ठान

 Sawan Shivratri 2024: सावन शिवरात्रि हिंदू महीने सावन में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो देवशयनी एकादशी के बाद शुरू होता है।यह त्योहार भगवान शिव को समर्पित है और पहले सावन सोमवार के बाद सबसे शुभ दिन माना जाता है।

ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, सावन शिवरात्रि जुलाई और अगस्त के बीच आ सकती है।

हिंदू कैलेंडर में, यह सावन महीने में कृष्ण पक्ष की ‘चतुर्दशी तिथि’ को मनाया जाता है।

सनातन धर्म में, सावन का महीना अत्यधिक पूजनीय है, और माना जाता है कि सावन शिवरात्रि पर व्रत रखने और पूजा करने से भगवान महादेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

मुहूर्त

1.निशिता काल पूजा का समय: 3 अगस्त 2024 को सुबह 00:05 बजे से सुबह 00:51 बजे तक

2.रात्रि के दौरान भगवान शिव की पूजा करने का यह आदर्श समय है।

3.शिवरात्रि पारण का समय: 3 अगस्त 2024 को सुबह 06:14 बजे से शाम 15:35 बजे तक

यह वह समय सीमा है जिसके दौरान कोई भी व्यक्ति सावन शिवरात्रि का व्रत रखने के बाद अपना व्रत तोड़ सकता है।

चतुर्दशी तिथि:
प्रारंभ: 2 अगस्त 2024 को अपराह्न 15:26 बजे
समाप्त: 3 अगस्त 2024 को अपराह्न 15:50 बजे

Sawan Shivratri 2024 महत्व

शिवरात्रि, या शिव की रात, सावन की सबसे शक्तिशाली रातों में से एक मानी जाती है, जो आध्यात्मिक विकास और मुक्ति का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है।

सावन शिवरात्रि पर व्रत और अनुष्ठान करने की मान्यता है:

आत्मा और शरीर को शुद्ध करें
भक्तों को आध्यात्मिक मुक्ति प्रदान करें
पाप धो डालो
नकारात्मक प्रभाव दूर करें
अधिक व्यवस्थित और पूर्ण जीवन का नेतृत्व करें

शिवरात्रि के दौरान ऊर्जाओं को शक्तिशाली और शुद्ध माना जाता है, जो इसे इसके लिए आदर्श समय बनाती है:
आध्यात्मिक प्रथाओं को बढ़ाना

यह स्पष्ट है कि सावन शिवरात्रि उन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है जो आध्यात्मिक विकास, आंतरिक शांति और आत्मज्ञान चाहते हैं।

Sawan Shivratri 2024 पूजा विधि

मासिक शिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर देवी पूजा से दिन की शुरुआत करें। स्नान करके साफ कपड़े पहनकर सूर्य देव को जल चढ़ाएं।

मंदिर क्षेत्र को साफ करें और ऊंची सतह पर एक साफ तौलिया रखें। मंच पर देवी पार्वती और भगवान शिव की मूर्तियाँ रखें। भगवान शिव को कच्चे दूध, गंगा जल और सादे पानी से स्नान कराने के बाद, उन्हें पान का पत्ता, धतूरा और भांग चढ़ाएं।

शुद्ध घी का दीपक जलाएं, आरती करें और शिव मंत्रों का जाप करें। शिव चालीसा पढ़ने की अत्यधिक अनुशंसा की जाती है। अंत में खीर, फल, हलवे का भोग लगाकर प्रसाद बनाएं और लोगों में बांट दें।

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