Exam Phobia: परीक्षा का तनाव हर किसी को होता है. किसी को कम तो किसी को ज़्यादा. लेकिन कुछ लोगों को परीक्षा का डर बहुत ज़्यादा होता है. इतना ज़्यादा कि परीक्षा का तनाव गंभीर सिरदर्द, पेट दर्द, उलझन और यहाँ तक कि चिंता में बदल जाता है. ये लक्षण सामान्य नहीं हैं. अगर किसी के साथ ऐसा हो रहा है, तो यह सिर्फ़ परीक्षा का तनाव नहीं है, यह एग्जाम फोबिया है. एग्जाम फोबिया में लोगों को परीक्षा का बहुत ज़्यादा डर होता है. इस डर की वजह से वे ठीक से तैयारी नहीं कर पाते. इसका सीधा असर परीक्षा में उनके प्रदर्शन पर पड़ता है. कई बार तो वे सवाल का जवाब जानते हुए भी नहीं लिख पाते.
एग्जाम फोबिया क्या है?
एग्जाम फोबिया का सामान्य अर्थ है परीक्षा का डर. लेकिन बहुत ज़्यादा. यह एक सामान्य मनोवैज्ञानिक स्थिति है जिसमें बच्चे परीक्षा के दौरान चिंता, अवसाद और अत्यधिक तनाव महसूस करते हैं. यह आमतौर पर परीक्षा की तैयारी के दौरान, परीक्षा के नज़दीक होने पर, परीक्षा देते समय या परिणाम आने से पहले ज़्यादा महसूस होता है.
परीक्षा का डर क्यों होता है?
परीक्षा के डर के पीछे कई कारण हैं. जैसे कि सामाजिक दबाव, अपेक्षाएँ, भविष्य की चिंता, बुरे नतीजों का डर, सिलेबस पूरा न कर पाना, खराब स्वास्थ्य आदि। अक्सर बच्चे परीक्षा देने से पहले उसके नतीजों के बारे में सोचकर तनाव में आ जाते हैं, जिससे उनका मन पढ़ाई पर एकाग्र नहीं हो पाता।
कई बार ऐसा भी देखा गया है कि बच्चे आपस में प्रतिस्पर्धा के कारण दबाव महसूस करते हैं और दिन-रात पढ़ते रहते हैं। इसका असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है। साथ ही, उनकी याद रखने की क्षमता भी कम हो जाती है, जिससे वे परीक्षा के दौरान घबराने लगते हैं।
एग्जाम फोबिया के लक्षण
एग्जाम से पहले थोड़ा नर्वस होना ठीक है। लेकिन अगर आपका बच्चा बहुत नर्वस है या उसने अपना पसंदीदा काम करना बंद कर दिया है। उसे ठीक से नींद नहीं आ रही है या वह ठीक से खाना नहीं खा रहा है, तो ये सभी एग्जाम फोबिया के लक्षण हो सकते हैं। एग्जाम फोबिया अधिक होने पर कई बार छात्रों को पेट दर्द, सिरदर्द, कमजोरी, घबराहट, उलझन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
एग्जाम फोबिया से छुटकारा पाने के उपाय
ये टिप्स आपको एग्जाम फोबिया से निकलने में मदद करेंगे।
योग और ध्यान
इससे शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाए रखने में काफी मदद मिलती है।
समय प्रबंधन
इससे परीक्षा के दौरान भागदौड़ नहीं होती, जिससे मन शांत रहता है और आत्मविश्वास मिलता है।
पूरी नींद लें
नींद की कमी से उलझन होती है। माता-पिता की भूमिका। परीक्षा के दौरान माता-पिता की जिम्मेदारी थोड़ी बढ़ जाती है। उनका मनोबल न गिराएँ। उनकी तुलना दूसरों से न करें। उन पर सर्वश्रेष्ठ होने का दबाव न डालें। बल्कि उनके दोस्त बनकर उन्हें समझने की कोशिश करें। उनका मार्गदर्शन करें।