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Monday, December 23, 2024
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अब रिजेक्शन से कभी नहीं डरेगा बच्चा, इन टिप्स से हर फेलियर को करेगा पास

Parenting Tips: जीवन में हार का सामना करना किसी के लिए भी बहुत कठिन दौर होता है, लेकिन अगर इसे सही तरीके से संभाला जाए तो बुरी से बुरी स्थिति से भी निपटा जा सकता है। हालाँकि, इसके लिए सबसे ज़रूरी है कि व्यक्ति मानसिक रूप से मजबूत हो। नई पीढ़ी में अक्सर देखा जाता है कि लोग रिजेक्शन, असफलता के तनाव से नहीं निपट पाते और कभी-कभी तो डिप्रेशन का भी शिकार हो जाते हैं। ऐसे में माता-पिता अपने बच्चे के जीवन में अहम भूमिका निभा सकते हैं और उन्हें बचपन से ही मानसिक रूप से मजबूत बना सकते हैं। इससे न केवल वह बचपन में मिली छोटी-मोटी हार को आसानी से स्वीकार कर सकेगा, बल्कि भविष्य में भी रिजेक्शन और फेलियर से डरने के बजाय साहस और धैर्य के साथ स्थिति का सामना कर सकेगा।

बच्चों का पालन-पोषण करते समय माता-पिता कुछ बातों का ध्यान रख सकते हैं और अपने बच्चों को इस तरह मजबूत बना सकते हैं कि वे कठिन परिस्थितियों में हार मानने की बजाय विफलता को एक अवसर के रूप में देखना सीखें और आगे बढ़ें। तो आइये जानते हैं।

ऐसे विकसित करें सकारात्मक सोच

घर का माहौल बच्चों के दिमाग पर गहरा असर डालता है, जिसका असर उनके भावी जीवन पर भी पड़ता है। इसलिए अपने बच्चे के सामने नकारात्मक बातें कहने से बचें। बच्चों की तुलना दूसरों से न करें और किसी भी गतिविधि में भाग लेने से पहले उन पर जीत का दबाव बनाने की बजाय उन्हें बताएं कि जीवन में जीत और हार होती रहती है, महत्वपूर्ण बात यह है कि आपने प्रयास किया। इससे बच्चे का मनोबल बढ़ेगा।

असफलता को एक अवसर के रूप में देखना सीखें

यदि परीक्षा में कम अंक आने पर माता-पिता बच्चे को डांटते हैं तो बच्चे पर दबाव बढ़ जाता है जो उसे जीवन में हमेशा परेशान करता है। इसलिए ऐसे में अपने बच्चे को समझाएं कि अगर आज उसके कम नंबर आए हैं या वह फेल हो गया है तो यह उसके लिए बुरी बात नहीं है, बल्कि खुद को साबित करने का यह दूसरा मौका है। बच्चे को प्रेरित करें और समझाएं कि वह असफलता से उबर सकता है।

बच्चों के साथ बैठकर बात करना जरूरी है

छोटे बच्चों के मन में कई तरह के सवाल होते हैं और जवाब न मिलने के कारण अक्सर उनके मन में उलझन पैदा हो जाती है। माता-पिता को बच्चे के साथ कुछ समय इस तरह बिताना चाहिए कि बच्चे को लगे कि आपका समय सिर्फ उसका है। इस दौरान उनकी हर बात को ध्यान से सुनें और समझने की कोशिश करें। इससे बच्चा बिना किसी डर के अपने मन की हर बात आपको बता पाएगा और जीवन में कोई भी समस्या आने पर वह समझ जाएगा कि उसे अपने माता-पिता का समर्थन प्राप्त है और वह कठिन समय से भी उबर सकता है।

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