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Sunday, December 22, 2024
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Vat Savitri Vrat 2023: अगर आप भी पहली बार रख रही है वट सावित्री का व्रत, तो जानें ये जरूरी नियम

Vat Savitri Vrat 2023: कई महिलाएं ऐसी होती है जो वट सावित्री का व्रत पहली बार रखती हैं ऐसे में इन महिलाओं को व्रत रखने से पहले नियमों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। वट सावित्री के व्रत में जितने भी नियम बनाए गए हैं महिलाओं को उसका पालन करना चाहिए। कहा जाता है कि वट सावित्री का व्रत Vat Savitri Vrat रखने से पति की आयु लंबी हो जाती है और महिलाओं को सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है। तो वही वट सावित्री को लेकर धार्मिक मान्यता यह है कि यह जेष्ठ अमावस्या के दिन सावित्री नहीं पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लाए थे। इसीलिए महिलाएं भी वट सावित्री का व्रत रखती हैं ताकि उनके पति सुरक्षित रहें और लंबी आयु हो। तो चलिए जानते हैं पहली बार वट सावित्री का व्रत रखने वाली महिलाओं को किन नियमों को ध्यान में रखना चाहिए।

पहली बार वट सावित्री का व्रत रख रही महिलाओं को यह नियम ध्यान में रखना चाहिए

10 जून को चतुर्ग्रही योग, शनि और केतु की जन्म तिथि भी है ज्येष्ठ महीने की अमावस्या | Vat Savitri fast, which will increase good fortune, will be done in auspicious yogas

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वट सावित्री के नियम

अगर आपकी अभी-अभी शादी हुई है और आप पहली बार वट सावित्री व्रत रख रहे हैं तो सबसे पहले आपको इस व्रत से जुड़े नियमों और पूजा के लिए जरूरी सामग्री के बारे में जान लेना चाहिए। वट सावित्री की पूजा के लिए आपको सावित्री-सत्यवान की मूर्ति या फोटो, कलावा, अक्षत, सिंदूर, श्रृंगार का सामान, बांस का पंखा, दीपक-अगरबत्ती, घी, बरगद का फल और मौसमी फल, फूल, सुपारी, रोली, बताशे, सावा। सवा मीटर लाल कपड़ा, नारियल, पान, दूर्वा, कुछ नकद आदि की आवश्यकता होगी।

पूजा के नियम

पूजा वाले दिन आपको सुबह जल्दी उठ कर नहा लेना चाहिए और इस दिन लाल रंग बिरंगी साड़ी पहननी चाहिए। इसलिए आपको काले स्लेटी आदि रंगों के कपड़े नहीं पहनना चाहिए। सावित्री व्रत के दिन महिलाएं अपना सोलह सिंगार पूरा करें दुल्हन की तरह सज कर वट सावित्री का व्रत रखें। अपनी टोकरी में वट सावित्री की पूजा की सारी सामग्री इकट्ठा कर ले और वटवृक्ष के पास जाएं और पूजा वाले स्थान पर गंगाजल का छिड़काव करें। अब वट वृक्ष के तल में जल अर्पण करें। सत्यवान की फोटो रखे रोली, सिंदूर, पांच सुपारी पर फूल, बतासे आदि चढ़ाएं। इसके बाद 7 बार वट वृक्ष की परिक्रमा करें और कच्चा सूत कलावा वृक्ष में लपेटे इसके बाद सभी महिलाएं एकत्रित होकर वट सावित्री की कथा सुने।

 

 

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