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Vat Savitri Vrat: वट सावित्री के व्रत में क्यों होती है बरगद के पेड़ की पूजा, जानिए महत्व

Vat Savitri Vrat

Vat Savitri Vrat: वट सावित्री की पूजा सभी सुहागिन महिलाओं के लिए अहम होता है। इस दिन महिलाएं सोलह सिंगार करके वट सावित्री की पूजा करती है। यह व्रत Vat Savitri Vrat महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करती है और संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है। आज हम बात करेंगे कि वट सावित्री के व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा क्यों की जाती है इसका क्या महत्व है। कहा जाता है कि वट सावित्री का व्रत सुहाग की सलामती और लंबी आयु के लिए किया जाता है यह व्रत साल की जेस्ट अमावस्या को पड़ती है। वट सावित्री के व्रत के दिन धार्मिक मान्यता के अनुसार वट सावित्री व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है।

वट सावित्री के दिन क्यों की जाती है बरगद की पूजा जानिए

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धार्मिक महत्व

बरगद के पेड़ को हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है। बरगद का पेड़ दीर्घजीवी, दीर्घजीवी विशाल वृक्ष है। इसलिए इसे अक्षय वृक्ष भी कहा जाता है। बरगद के पेड़ का जन्म यक्षों के राजा मणिभद्र से हुआ था। मान्यता है कि यह वृक्ष त्रिमूर्ति का प्रतीक है, इसकी छाल में विष्णु, जड़ में ब्रह्मा और शाखाओं में शिव का वास माना जाता है। इसके अलावा पेड़ की जो शाखाएं नीचे की ओर लटकती हैं उन्हें मां सावित्री कहा जाता है। इसे प्रकृति की रचना का प्रतीक भी माना जाता है।

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क्यों होती है पूजा

  • पौराणिक कथा के अनुसार देवी सावित्री ने पति की रक्षा के विधि के विधान तक को बदल दिया था. पुराणों के अनुसार पति को संकट से उबारने के लिए सावित्री ने घोर तप और व्रत किया था.
  • माता सावित्री के सतीत्व और पतिव्रता धर्म से प्रसन्न होकर यमराज ने उनके पति सत्यवान के प्राण बरगद के पेड़ के नीचे ही लौटाए थे.इसके बाद देवी सावित्री 100 पुत्रों की माता होने का सौभाग्य भी मिला.
  • उन्होंने सावित्री को यह वरदान भी दिया था कि जो भी सुहागिन बरगद की पूजा करेगा उसे अखंड सौभाग्यवती रहने के आशीर्वाद मिलेगा.

इसे करें बरगद की पूजा

वट सावित्री के व्रत के दिन सभी सुहागिन महिलाएं सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करती है व्रत का संकल्प लेती है इस दिन महिलाएं अपना सोलह सिंगार करती हैं दो टोकरी में पूजा का सामान तैयार किया जाता है और बरगद के पेड़ के नीचे महिलाएं कथा सुनती है इस दिन बरगद के पेड़ के नीचे जल रखा जाता है रोली चंदन का टीका लगाया जाता है कच्चे सूट के साथ बरगद के पेड़ की परिक्रमा की जाती है।

 

 

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