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महाकुंभ 2025: भक्तों के लिए सज रही है पूरी नगरी, पुराने मंदिरों का भी हो रहा कायाकल्प

Mahakumbh 2025: महाकुंभ को लेकर प्रयागराज में स्थित प्रचीन मंदिरों, आश्रमों को नए सिरे से सजाया संवारा जा रहा है।महाकुंभ को लेकर तीर्थराज प्रयाग में तैयारियां जोरों पर हैं।महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के साथ यहां के मनमोहक स्थलों को देखकर मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह सकेंगे।मेला क्षेत्र ही नहीं शहर के हर छोर पर आपको महाकुंभ का माहौल दिख जाएगा। हर विभाग श्रद्धालुओं के स्वागत की तैयारी में लगा है।कहीं कॉरिडोर का निर्माण किया गया है तो कहीं समय के साथ पुराने हुए मंदिरो का पुनरोद्धार किया गया है।

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महाकुंभ में श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए तैयार

क्षेत्रीय पर्यटन सचिव अपराजिता सिंह कहती हैं कि, महाकुंभ को देखते हुए पर्यटन विभाग प्रयागराज के सभी प्रमुख मंदिरों में आधारभूत सुविधाएं बेहतर करने का काम कर रहा है। इसके तहत मंदिर परिसर में टॉयलेट, बेंच, यात्री शेड, मंदिर परिसर का फ्लोरिंग वर्क के साथ अन्य साज-सज्जा के काम पर्यटन विभाग करा रहा है। जिन मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया गया है उनमें भारद्वाज आश्रम अहम है। इसमें पर्यटन विभाग ने आश्रम कॉरिडोर का निर्माण कराया है। कॉरिडोर के दोनों ओर बहुत से म्यूरल्स लगाए गए हैं।

महाकुंभ 2025 की तैयारियाँ जोर-शोर से

ये म्यूर्ल्स महर्षि भारद्वाज की कथाओं से संबंधित हैं।जहां भगवान राम ने सुनी थी सत्यनारायण की कथा -भारद्वाज आश्रम अहम है।कॉरिडोर की सजावत में उस कथा को भी दर्शाया गया है, जब भगवान राम, सीता और लक्ष्मण भारद्वाज आश्रम में आए थे। यहीं से भारद्वाज मुनि ने उन्हें चित्रकूट की ओर जाने का मार्ग दिखाया था। इसके साथ ही लंका विजय के बाद भागवान ने यहां आकर सत्यनारायण की कथा सुनी थी। उसका चित्र भी इन म्यूरल्स में दर्शाया गया है।जीर्णोद्धार के बाद यहां पहले के मुक़ाबले ज़्यादा श्रद्धालुओं का आना हो सकेगा।कहा जाता है कि महर्षि भारद्वाज ने इस आश्रम की स्थापना की थी।

नागवासुकि मंदिर, अलोप शंकरी मंदिर, मनकामेश्वर, द्वादश माधव, पड़िला महादेव जैसे प्रमुख मंदिरों में भी पर्यटन विभाग ने सौंदर्यीकरण और टूरिज्म डेवलपमेंट का काम भी कराया है। नागवासुकि मंदिर में जगह-जगह पर यात्री शेड और हवन शेड बनाया गया है। नागवासुकि मंदिर परिसर में स्थित भीष्म पितामह मंदिर का भी नए सिरे सौंदर्यीकरण किया गया है।

प्रयागराज को क्यों तीर्थराज कहा गया है?

पृथ्वी पर सबसे पहला यज्ञ खुद भगवान ब्रह्मा ने गंगा, यमुना और सरस्वती की पवित्र संगम पर किया था।इसी प्रथम यज्ञ से प्रथम के प्र और याग अर्थात यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना। जब ब्रह्मा यज्ञ कर रहे थे तो स्वयं भगवान श्री विष्णु 12 माधव रूप में इसकी रक्षा कर रहे थे। विष्णु के यही 12 माधव रूप द्वादश माधव कहे जाते हैं। समय के साथ विलुप्तप्राय हो चुके इन मंदिरों का भी नए सिरे से जीर्णोद्धार कराया गया है। इस स्थान की पवित्रता को देखते हुए भगवान ब्रह्मा ने इसे ‘तीर्थ राज’ या ‘सभी तीर्थस्थलों का राजा’ भी कहा है। जैसे सूर्य चंद्रमा के मध्य और चंद्रमा तारों के मध्य है, वैसे ही ‘प्रयाग सभी तीर्थों में श्रेष्ठ है।

कायाकल्प का उद्देश्य यह है कि जो भी काम कराया गया है वो कुंभ ही नहीं बल्कि आने वाले कुछ वर्षों तक वैसा ही बना रहे। कायाकल्प की मदद से महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने के साथ ही प्रयागराज के दर्शनीय स्थलों और आध्यात्मिक महत्व वाली जगहों पर जा सकेंगे।

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