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पिता ने बेरोजगारी में छोड़ा देश, बेटे ने क्रिकेट टीम में बनाई जगह, भावुक कर देगी कहानी

आपने कई ऐसे खिलाड़ियो का नाम सुना होगा जो दूसरे देशों के लिए खेले. इस वक्त भी कई टीमों में ऐसे खिलाड़ी हैं जो अपने देश नहीं बल्कि किसी और देश के लिए खेल रहे हैं. इनमें केशव महाराज भारत के रहने वाले हैं और वो अफ्रीका के लिए खेलते हैं. ईश सोढी भी भारत के हैं और वो न्यूजीलैंड के लिए खेलते हैं. इस्मान ख्वाजा का कनेक्शन पाकिस्तान से है और वो ऑस्ट्रेलिया के लिए खेलते हैं. अब इस कड़ी में एक और खिलाड़ी का नाम जुड़ गया है. इस खिलाड़ी का नाम है रहमान हकमत, दरअसल रहमान उस वक्त दूध पीते बच्चे थे, जब उनके माता-पिता अफगानिस्तान छोड़कर बेहतर जिंदगी की तलाश में न्यूजीलैंड जा बसे।

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माता-पिता क्रिकेट और बॉलीवुड के शौकीन थे, ऐसे में तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े 18 वर्षीय रहमान को खुद-ब-खुद क्रिकेट से प्यार हो गया। रहमान हकमत हाई स्कूल से नेट बॉलर और फिर न्यूजीलैंड अंडर-19 टीम तक के सफर का क्रेडिट अपने पिता हेकामतुल्लाह और माँ खातीई को देते हैं, जो उसी स्कूल में काम करती हैं जहाँ वह पढ़ते हैं। पेशे से इंजीनियर हेकमतुल्लाह ने अपने बेटे को शेन वॉर्न से मिलवाया और उसके बाद दिग्गज अफगान लेग स्पिनर राशिद खान आए, जिनका उनके बेटे रहमान पर बड़ा प्रभाव पड़ा।

ऐसे मिली मदद!

अंडर-19 वर्ल्ड कप के लिए साउथ अफ्रीका जाने से पहले न्यूजीलैंड क्रिकेट ने रचिन रविंद्र और ईश सोढ़ी जैसे अपने सीनियर प्लेयर्स से अपने युवा खिलाड़ियों को मिलवाया। अपनी कहानी के बारे में 18 साल के रहमान हकमत बताते हैं, ‘मेरे पिताजी को बॉलीवुड फिल्में बहुत पसंद हैं। मुझे हिंदी समझने में कठिनाई होती है। हाल ही में मेरे माता-पिता शाहरुख खान की फिल्म डंकी देखने गए। मेरे पिता को यह फिल्म बहुत पसंद आई और उन्होंने मुझे फोन पर दो घंटे तक अपने फेवरेट एक्टर की फिल्म की कहानी सुनाई।

मैं जहां हूं वहां तक पहुंचाने के लिए मेरे पिता कई रात सोए नहीं। जब मैं एक साल का था तब वह न्यूजीलैंड आ गए। हमारे पूरे परिवार को क्रिकेट में दिलचस्पी है। हमें क्रिकेट के बारे में बात करना अच्छा लगता है। मेरा छोटा भाई ही ऐसा है, जिसे यह पसंद नहीं है, लेकिन मेरी 12 वर्षीय बहन को यह खेल पसंद है। मेरे आदर्श शेन वॉर्न और राशिद खान हैं। वॉर्न सर्वकालिक महान हैं। मुझे भी राशिद की तरह काफी गुगली फेंकना पसंद है। पिछले कुछ साल में जब मेरे क्रिकेट ज्ञान में सुधार हुआ तो मैंने दूसरे रिस्ट स्पिनर्स को भी फॉलो करना शुरू कर दिया। मैं ईश सोढ़ी, एडम जम्पा और आदिल रशीद को करीब से देखता हूं। सबकी अपनी अलग-अलग रणनीति है। मैं उनकी प्लानिंग, गति, फील्ड प्लेसमेंट और विविधताओं पर ध्यान देने की कोशिश करता हूं।

11 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू करने वाले रहमान हकमत पहले तेज गेंदबाज बनना चाहते थे, लेकिन अब स्पिनर हैं। अपने इस सफर के बारे में वह बताते हैं, ‘मैंने एक तेज गेंदबाज के रूप में शुरुआत की। एक दिन मैं और मेरे पिताजी खेल रहे थे और मैंने उन्हें कुछ धीमी टर्निंग गेंदें फेंकी। मेरे पिता को लगा कि यही मेरा नेचुरल टैलेंट है। उन्होंने मेरे कोच से बात की। अगले दिन, जब हम कोचिंग के लिए गए तो कोच को भी मेरी गेंदबाजी में कुछ दिखा और उन्होंने भी माना कि मेरी लेग स्पिन पर काम कर सकते हैं।

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