Vijay Merchant: भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक से बढ़कर एक बल्लेबाज हुए हैं और उन्ही में शुमार है Vijay Merchant का नाम। विजय मर्चेंट का जन्म एक व्यापारी परिवार में हुआ था जो भारत की तरफ से टेस्ट में शतक लगाने वाले सबसे उम्रदराज खिलाड़ी हैं। साल 1951 में इंग्लैंड के खिलाफ दिल्ली टेस्ट में उन्होंने 40 साल की उम्र में शतक लगाया था।
अब उनकी काबिलियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने 150 प्रथम श्रेणी मैचों में 71.64 की औसत से रन बनाए। ये प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डॉन ब्रैडमैन के बाद सबसे बेस्ट एवरेज है। ब्रैडमैन का फर्स्ट क्लास एवरेज 95.14 का रहा था। लेकिन अगर हम केवल रणजी ट्रॉफी के मैचों को शामिल करें तो उनका रिकॉर्ड और भी बेहतर है। रणजी ट्रॉफी में विजय मर्चेंट ने 98.75 की औसत से 3639 रन बनाए थे।
1933 में किया टेस्ट डेब्यू
सबसे पहले विजय मर्चेंट को यूनिवर्सिटी लेवल से प्रसिद्धि मिली इसके बाद में उन्होंने रणजी ट्रॉफी में मुंबई का प्रतिनिधित्व किया। रणजी ट्रॉफी में शानदार खेल दिखाने के बाद
दिसंबर 1933 में इंग्लिश टीम के खिलाफ वो अपना टेस्ट डेब्यू करने में कामयाब रहे हालांकि कुछ खास नहीं कर पाए।
साल 1936 में विजय मर्चेंट ने इंग्लैंड का दौरा किया जहां मैनचेस्टर टेस्ट में भारत की दूसरी पारी में 114 रन बनाए, जो उनके टेस्ट करियर का पहला शतक था।
इंग्लैंड के खिलाफ खेले 10 टेस्ट मैच
इसके अलावा दाएं हाथ के बल्लेबाज विजय मर्चेंट का टेस्ट करियर वैसे तो 18 साल तक चला लेकिन वह सिर्फ 10 टेस्ट मैच ही खेल पाए। इसके पीछे की वजह दूसरा विश्व युद्ध था। फिर भी खास बात ये है कि ये सभी टेस्ट इंग्लैंड टीम के ही खिलाफ थे। इन मैचों की 18 पारियों में मर्चेंट ने 859 रन बनाए, जिसमें 3 शतक और 3 अर्धशतक शामिल रहे।
साल 1987 में दुनिया को कह दिया अलविदा
बता दें कि विजय मर्चेट ने रिटायमेंट के बाद भारतीय टीम के सेलेक्टर की भूमिका भी निभाई थी। बतौर सेलेक्टर उन्होंने नवाब पटौदी जूनियर की जगह अजित वाडेकर को भारतीय टीम का कप्तान बनाया था। इसके अलावा वो एक अच्छे लेखक और कार्यक्रम प्रस्तुतकर्ता भी थे। मर्चेंट ने 27 अक्टूबर 1987 को 76 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया और उन्ही की याद में BCCI ने विजय मर्चेंट ट्रॉफी की शुरुआत की थी।