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“पद-प्रतिष्ठा का प्रभाव और विनम्रता का महत्व: एक प्रेरक कहानी”

एक बार एक गधा था, जो पूजा समारोह के लिए देवताओं की मूर्तियों को अपनी पीठ पर लादकर ले जा रहा था। रास्ते में जब वह गांवों से गुजरता तो लोग मूर्तियों के आगे सिर झुकाते। हर गांव में पूजा-अर्चना के लिए भीड़ जुटती। गधे को लगने लगा कि गांव वाले उसे प्रणाम कर रहे हैं और वह इस नए सम्मान और आदर से रोमांचित हो उठा। मूर्तियों को पूजा स्थल पर छोड़ने के बाद गधे के मालिक ने उस पर सब्जियां लाद दीं और वे वापसी की यात्रा पर निकल पड़े। इस बार गधे पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।

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वह ठंडा जानवर इतना निराश हुआ कि उसने गांव वालों का ध्यान खींचने के लिए रेंकना शुरू कर दिया। शोर से वे चिढ़ गए और उन्होंने उस बेचारे प्राणी को पीटना शुरू कर दिया, जिसे इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था..

वास्तव मे हम सब भी उसी गधे की तरह ही है जब हम पद पर होते है / प्रतिष्ठित होते है तो लोग हमे नमस्कार करते है, पूजते है, मान सम्मान देते है, लेकिन ज्यो ही हम रिटायर होते है, या हम प्रभावहीन हो जाते है तो हमे भी लोग महत्व देना बंद कर देते तब हमारी समझ मे आता है कि यह सब तो हमारे पद प्रतिष्ठा समय का प्रभाव था।

कहानी का मूल यह है कि हमेशा विनम्र, सहज, सरल बने रहिए जो कुछ है वो स्थिर नहीं है जहाँ आज आप है कल वहाँ कोई और होगा।

ऐसा व्यवहार किसी के साथ मत कीजिये के आपके उतार के समय आपको तिरस्कार मिले।

(सुमित विजयवर्गीय)

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