Cyber Flashing: विश्व भर में डिजिटलीकरण से लोगों को काफी आराम मिला है. लेकिन इसी के साथ ही साइबर फ्रॉड (Cyber Fraud) और साइबर क्राइम (Cyber Crime) भी काफी तेजी से बढ़ा है. इसी कड़ी में आज हम आपको एक ऐसे ही मामले के बारे में बताने जा रहे हैं. दरअसल यह मामला है साइबर फ्लैशिंग का. अब आपको बताते हैं कि आखिर ये साइबर फ्लैशिंग होता क्या है.
Cyber Flashing
आपको बता दें कि इंग्लैंड और वेल्स (England and Wales) में पहली बार 39 साल के एक व्यक्ति को ‘साइबर फ्लैशिंग’ यानी बिना मर्जी के अश्लील तस्वीरें भेजने के लिए दोषी ठहराया गया है. एसेक्स का रहने वाला ये आदमी, ऑनलाइन सेफ्टी एक्ट के तहत, एक किशोरी लड़की और एक महिला को उसके निजी अंगों की तस्वीरें भेजने के लिए दोषी पाया गया है.
Cyber Flashing होता क्या है
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साइबर फ्लैशिंग का अर्थ होता है कि बिना पूछे किसी को अश्लील तस्वीरें या वीडियो भेजना. यह इंटरनेट के जरिए किया जाता है जैसे कि मैसेज एप्स, सोशल मीडिया या एयरड्रॉप से भी. ये तस्वीरें किसी को भी परेशान या ब्लैकमेल करने के लिए इस्तेमाल की जा सकती हैं. ऐसे में इस चीज को गलत माना जाता है. ऐसी तस्वीरों को बिना उसकी इजाजत के भेजना गलत माना जाता है. ये तस्वीरें उनकी निजी जिंदगी में दखलअंदाजी हैं और उन्हें बुरा महसूस करा सकती हैं.
UK Online Safety Act
रिपोर्ट्स के अनुसार जनवरी 2024 में इंग्लैंड में ऑनलाइन सुरक्षा कानून बनाया गया था. इसमें कई तरह के ऑनलाइन अपराध शामिल हैं. इसी में एक साइबर फ्लैशिंग भी शामिल है. इंग्लैंड और वेल्स में 31 जनवरी से साइबर फ्लैशिंग गैरकानूनी करार दिया गया है. वहीं दूसरी ओर स्कॉटलैंड में Cyber Flashing 2010 से ही गैरकानूनी माना जाता है.
हालांकि अभी भारत में साइबर फ्लैशिंग सीधे तौर पर कानून में नहीं है लेकिन इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी 2000 (Information Technology Act 2000) के तहत इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अश्लील कंटेंट भेजना या पब्लिश करना गैरकानूनी माना जाता है.