Mughal History: मुगलों का सबसे क्रूर शासक कहे जाने वाले औरंगजेब ने जिस महिला से सबसे अधिक प्रेम किया, उसका नाम हीराबाई था। औरंगजेब और हीराबाई की प्रेम कहानी तो खूब चर्चित रही, लेकिन इससे जुड़े कई दिलचस्प पहलू थे, जिनके बारे में लोग कम ही जानते हैं। इसकी शुरुआत हीराबाई के बचपन से होती है। इतिहासकार जदुनाथ सरकार अपनी किताब में लिखते हैं कि हीराबाई एक कश्मीरी हिंदू थीं। उसके माता-पिता ने उसे बाजार में बेच दिया। इसके बाद उन्होंने खान-ए-जमां की जगह पर डांस करना शुरू कर दिया।
इसी गुण के कारण हीराबाई बुरहानपुर के हरम में शामिल हो गईं। मध्य प्रदेश का वही बुरहानपुर जहां औरंगजेब की मां मुमताज महल को दफनाया गया था। 35 साल की उम्र में औरंगाबाद जाते वक्त औरंगजेब ने बुरहानपुर का रास्ता चुना और अपनी मौसी सुहेला बानो से मिलने गया।
…तो फिर क्या इलाज करोगे
औरंगजेब बुरहानपुर के जैनाबाद के बाग में टहल रहा था, तभी उसकी नजर एक नौकरानी पर पड़ी जो अपनी मौसी के साथ आई थी। वह दासी जिसने न तो औरंगजेब को कोई सम्मान दिया और न ही अपनी बुआ से कोई खास खयाल रखा। वह आई और लापरवाही से पेड़ से आम तोड़ती चली गई।
इतिहासकार हमीदुद्दीन खान लिखते हैं कि मौसी का घर होने के कारण हरम की महिलाओं को औरंगजेब से दूर नहीं रखा जाता था। औरंगजेब उसे फिर से देखने की इच्छा से महल में दाखिल हुआ। वहां हीराबाई पेड़ की शाखा के पास खड़ी होकर गाना गा रही थी। यह देख राजकुमार अचानक बेहोश हो गया।
खबर मिलते ही आंटी दौड़ती हुई वहां पहुंचीं। मामी ने बेहोश होने का कारण पूछा तो राजकुमार ने कहा कि बीमारी के बारे में बताएगी तो उसका क्या इलाज होगा। उसके हाँ कहते ही राजकुमार ने हीराबाई को पाने की इच्छा उसके सामने रख दी। यह सुनकर वह चुप हो गई। वह जानती थी कि उसका पति ऐसा नहीं होने देगा।
महिला के लिए महिला
‘एहकाम-ए-आलमगीरी’ के मुताबिक औरंगजेब की प्रेम कहानी में शुरू से अंत तक मुश्किलें आईं। जब बुआ को कोई उपाय न सूझा तो औरंगजेब ने अपने मौसा के सामने सारी कहानी कह सुनाई। उन्होंने कहा कि अगर हीराबाई को चाहिए तो उन्हें चित्रबाई को देना होगा। इसलिए शाहजहां के हरम की चित्राबाई उसे दे दी गई और इस तरह औरंगजेब को हीराबाई मिल गई।
मुगल बादशाह अकबर के समय से नाम के संबंध में एक नियम रहा है। उसके बाद, हीराबाई का नाम बदलकर जैनाबादी महल कर दिया गया। वास्तव में, शाही हरम की महिलाओं को सार्वजनिक रूप से अपने असली नाम का उल्लेख करने की मनाही थी, इसलिए हीराबाई का नाम बदल दिया गया।
शाहजहाँ ने मुकदमा चलाया, भाई के ताने सुने
जैनाबाद से संबंधित होने के कारण औरंगजेब के हरम में हीराबाई को जैनाबादी महल के नाम से जाना जाता था। हरम में दोनों के घनिष्ठ संबंधों की चर्चा पूरी सल्तनत में होने लगी। यह बात शाहजहाँ तक पहुँचने लगी। जब आम लोगों में इसकी चर्चा हद से ज़्यादा बढ़ गई तो शाहजहाँ बेचैन होने लगा। शाहजहां दोनों की कहानियों से इतना परेशान हुआ कि उसने औरंगजेब पर मुकदमा कर दिया। भाई दारा शिकोह ने कई बार ताने मारे, लेकिन प्यार में डूबे औरंगजेब ने कोई जवाब नहीं दिया.
…और औरंगजेब के होश उड़ गए
इस बीच, शाहजहाँ ने औरंगज़ेब को दक्कन जाने का आदेश दिया। वहां का काम राजकुमार संभालता था। फिर एक दिन वह अपने डेरे में बैठा हुआ था कि दूत हांफता हुआ वहां पहुंचा। उन्होंने बताया कि हीराबाई नहीं रहीं। इस खबर को सुनकर औरंगजेब गम में डूब गया, उसने इतनी शराब पी ली कि उसके होश उड़ गए।
इस घटना के बाद औरंगजेब ने हालत ठीक होते ही शिकार के लिए निकल जाने का आदेश दिया। उनके करीबी इस बात से हैरान थे कि ऐसे में वह शिकार पर जाने की बात कर रहे हैं। सबने एक दूसरे की ओर देखा और कहा – मेरे मन को मेरे घर में चैन नहीं मिल रहा है, मैं वन में जी भरकर रो सकता हूं।