मुज़फ्फरनगर: 2 अक्टूबर को जहां देशभर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती मनाई जाती है, वहीं उत्तराखंड के लोगों के लिए यह दिन एक बुरे सपने की तरह है। 1994 की रात उत्तराखंड वासियों के लिए काली रात साबित हुई, जब अलग राज्य की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी शांतिपूर्वक देहरादून से दिल्ली जा रहे थे। मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा पर पहुंचने पर, तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस द्वारा लाठीचार्ज, पथराव और फायरिंग की। इस कांड में कई महिलाएं भी प्रभावित हुईं, और 7 आंदोलनकारी पुलिस की कार्रवाई में मारे गए।
9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद, रामपुर तिराहा कांड के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक स्मारक का निर्माण किया गया। उस समय से आज तक 2 अक्टूबर को इसी रामपुर तिराहा पर बने शहीद स्मारक पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों के साथ-साथ उत्तराखंड के अलग-अलग संगठनों के लोग आते हैं और उत्तराखंड के शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं।
आज फिर इस रिवाज के अनुसार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रामपुर तिराहा पर पहुंचे जहां उन्होंने सबसे पहले शहीद स्मारक पर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की और उसके बाद फिर महात्मा गांधी और पंडित लाल बहादुर शास्त्री के चित्र के सम्मुख पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि सभा में पहुंचे । इस दौरान पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वह उत्तराखंड के शहीद आंदोलन कारियो को श्रद्धांजलि देने यहां पहुंचे हैं और उत्तराखंड के उन शहीदों के जो सपने थे उन सपनों के हिसाब से ही हम उत्तराखंड राज्य का निर्माण कर रहे।।