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Thursday, October 17, 2024
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Maharashtra To UP पत्थर गैंग एक्टिव, एक बयान से भड़की हिंसा, आखिर क्यों बढ़ रही है योगी मॉडल की मांग?

महाराष्ट्र से यूपी तक पत्थरबाजी गैंग सक्रिय: एक बयान से भड़की हिंसा

हाल ही में गाजियाबाद के महंत यति नरसिंहानंद द्वारा पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ दिए गए बयान ने महाराष्ट्र से लेकर उत्तर प्रदेश तक अशांति फैला दी। उनके विवादित बयान के बाद, खासकर जुम्मे की नमाज के बाद, उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में सड़कों पर भीड़ इकट्ठा हो गई। इस दौरान पुलिस ने जब भीड़ को शांत करने की कोशिश की, तो लोगों ने हाथों में पत्थर उठाकर हमला शुरू कर दिया। इसी बीच, आईपीएस अधिकारी श्लोक कुमार ने स्थिति को नियंत्रण में लेने के लिए तेज़ी से कार्रवाई की, और 8 पत्थरबाजों को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद यूपी के मेरठ, गाजियाबाद और मुरादाबाद में अलर्ट जारी कर दिया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद हालात की निगरानी कर रहे हैं, उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि नवरात्रि के दौरान किसी भी सूरत में शांति भंग नहीं होनी चाहिए।

हालांकि, महाराष्ट्र में हालात इतने काबू में नहीं थे। नागपुर के नागपुरी गेट पुलिस थाने में 4 सितंबर की रात करीब 8:30 बजे तक सबकुछ सामान्य था। अचानक, एक बड़ी भीड़ थाने पहुंची और महंत यति नरसिंहानंद के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग करने लगी। थाना प्रभारी ने उन्हें सूचित किया कि एफआईआर पहले से दर्ज है और जांच जारी है। भीड़ वापस लौट गई, लेकिन थोड़ी देर बाद बड़ी तैयारी के साथ फिर लौट आई और थाने पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। पुलिस कर्मियों ने किसी तरह अपनी जान बचाई, लेकिन 1200 लोगों की भारी भीड़ ने थाने को चारों तरफ से घेर लिया। हालात इतने खराब हो गए थे कि लग रहा था, वे किसी को भी नहीं छोड़ेंगे। इस स्थिति को काबू में करने के लिए पुलिस कमिश्नर नविन चंद्र रेड्डी को विशेष बल तैनात करना पड़ा, जिसके बाद भीड़ तितर-बितर हो गई।

इस मामले पर असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं ने सवाल उठाए हैं, लेकिन उनका निशाना प्रदर्शनकारियों की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर था। ओवैसी ने पूछा कि क्या उन्हें ऐसे विवादित बयान और उसके बाद होने वाली हिंसा से खुशी मिलती है? साथ ही, उन्होंने यह भी सवाल किया कि मुस्लिम समुदाय के नेताओं को पत्थरबाजी करने वाले प्रदर्शनकारियों को रोकने की अपील क्यों नहीं करनी चाहिए?

वहीं, यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कानून-व्यवस्था को कड़ाई से लागू कर रखा है। राज्य में अब कोई व्यक्ति पत्थर उठाने से पहले कई बार सोचता है, क्योंकि यहां अपराधियों को सख्त सजा दी जाती है। चाहे वे पत्थरबाज हों या महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वाले, सभी को जेल में डाल दिया जाता है। इसके विपरीत, अन्य राज्यों में हालात उतने सख्त नहीं हैं। यही वजह है कि जब-जब स्थिति बिगड़ती है, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम चर्चा में आता है, और उनकी सख्त कानून-व्यवस्था मॉडल की मांग बढ़ती है।

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योगी आदित्यनाथ का बुलडोजर एक्शन पूरे देश में चर्चित है, जिसने माफियाओं और अपराधियों की कमर तोड़ दी है। कई राज्यों, जैसे बिहार और बंगाल, में भी उनकी सख्ती की मांग बढ़ रही है, क्योंकि इस मॉडल ने अपराधियों को उनकी हद में रखने का काम किया है। बुलडोजर के नीचे न जाने कितने माफिया और अपराधी अपना प्रभाव खो चुके हैं, और ऑपरेशन लंगड़ा जैसे अभियान से अपराधी चलने-फिरने तक के लायक नहीं बचे।

अब सवाल यह है कि क्या महाराष्ट्र को भी योगी मॉडल अपनाना चाहिए? क्या महाराष्ट्र सरकार को भी बुलडोजर के माध्यम से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, जैसे मध्य प्रदेश में मोहन यादव सरकार ने की? क्योंकि, महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों से जो तस्वीरें सामने आ रही हैं, वह चिंताजनक हैं। क्या महाराष्ट्र सरकार को भी पत्थरबाजों के खिलाफ सख्त कदम उठाकर कानून-व्यवस्था को बेहतर करना होगा?

Disclaimer: themidpost अपने सुधि पाठकों से अनुरोध करता हैं कि इस तरह के विवादास्पद बयानों और घटनाओं के हम कतई न तो हितेषी हैं, न इनको बढ़ावा देना चाहते हैं। खबरों की दुनिया में रहने की वजह से सिर्फ आपको आगाह करना चाहते हैं कि इस तरह की घटनाओं में शामिल लोगों को नजरअंदाज कर अपने तीज-त्यौहार शांतिपूर्ण एवं भाईचारे के साथ मनाएं।

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