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Qutub Minar Door History: एक हादसे के बाद कभी नहीं खुला कुतुब मीनार का दरवाजा, जानिए ये सच्चाई

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Qutub Minar Door History: क़ुतुब मनार की ख़ूबसूरती आज भी लोगों को उतना ही प्रभावित करती है जितना अपने शुरुआती दिनों में किया करती थी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका दरवाजा क्यों नहीं खोला जाता है।
कुतुब मीनार दुनिया की सबसे ऊंची इमारत है, जो ऐतिहासिक इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण है। लेकिन इसको लेकर कई तरह के रहस्य या विवाद चलते रहते हैं। क्या आप जानते हैं कि कुतुब मीनार का एक दरवाजा ऐसा भी है, जो कभी नहीं खुलता।

कुतुब मीनार का निर्माण 1199 से 1220 के दौरान किया गया था। इसका निर्माण कुतुबुद्दीन-ऐबक द्वारा शुरू किया गया था, जिसे बाद में उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने पूरा किया। हालांकि, पहले इसका दरवाजा खुला था, जो अब सिर्फ बंद ही रहता है।

बात साल 1974 की है, जब कुतुब मीनार में आम लोगों की एंट्री हुआ करती थी। 4 दिसंबर 1981 को लोगों के साथ एक भयानक हादसा हुआ, जिसके बाद अंदर भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में करीब 45 लोगों की मौत हो गई थी, तभी से इसका दरवाजा बंद था.

कुतुब मीनार पर बने दरवाजे का एक नाम भी है, जिसे अलाई द्वार के नाम से भी जाना जाता है। अलाई दरवाजा, कुतुब मीनार का प्रवेश द्वार दिल्ली सल्तनत के अला-उद-दीन खिलजी द्वारा बनाया गया था।

कुतुब मीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर है। इसमें करीब 379 सीढ़ियां हैं, जो हमें टावर के टॉप तक ले जाती हैं। यह इमारत नीचे से 14.32 मीटर है, जो ऊपर से 2.75 मीटर है।

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