Tahir Hussain parole: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली दंगों के आरोपी और आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद Tahir Hussain को दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार के लिए कस्टडी पैरोल की अनुमति दी है। यह पैरोल 29 जनवरी से 3 फरवरी तक के लिए होगी, जिसमें हुसैन को दिन में 12 घंटे जेल से बाहर रहने की इजाजत मिली है। हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि हुसैन को अपने घर जाने की अनुमति नहीं होगी और वह केवल पार्टी कार्यालय और अपने निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार कर सकते हैं। इस दौरान उन्हें अपने खर्चे खुद उठाने होंगे, जिसमें करीब दो लाख रुपये का खर्च आएगा, जो स्टाफ और जेल वैन के खर्चों को कवर करेगा।
Tahir Hussain को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) पार्टी ने मुस्तफाबाद सीट से उम्मीदवार बनाया है। यह कदम 2020 में हुए उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के बाद आया, जिसमें 53 लोग मारे गए थे और कई लोग घायल हुए थे। हुसैन पर दंगों में भूमिका निभाने का आरोप है और वे इंटेलिजेंस ब्यूरो के कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या के मामले में प्रमुख आरोपी हैं। अंकित शर्मा का शव 26 फरवरी, 2020 को खजूरी खास नाले से बरामद हुआ था, और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनके शरीर पर 51 चोटों के निशान मिले थे।
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला देते हुए यह भी स्पष्ट किया कि हुसैन को चुनाव प्रचार के दौरान अपने लंबित मामलों पर कोई बयान देने की अनुमति नहीं होगी। इससे उनके प्रचार कार्यों पर भी नियंत्रण रहेगा। कोर्ट ने यह कदम कानूनी दायरे में रखते हुए उठाया है, ताकि हुसैन का चुनावी प्रचार किसी भी तरह से कानूनी प्रक्रिया में हस्तक्षेप न करे।
यह निर्णय दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण घटना है। जहां एक ओर यह कदम चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करेगा, वहीं दूसरी ओर यह कानूनी और नैतिक दृष्टिकोण से भी चर्चाओं का विषय बनेगा। हुसैन को चुनाव प्रचार करने का मौका मिलने से, यह मामला दिल्ली की राजनीति और कानूनी प्रणाली में एक नए मोड़ का संकेत देता है।