अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) हर बार कई अलग-अलग कारणों से चर्चा में रहती है. मुस्लिमों के लिए किसी जमाने में पढ़ाई के लिए सबसे शानदार संस्थान मानी जाने वाली ये यूनिवर्सिटी कभी जिन्ना प्रेम की वजह से चर्चा में आती है तो कभी वहां से आतंकी गिरफ्तार होते हैं. कल ही अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र को एटीएस ने गिरफ्तार किया है.
लेकिन अब एक बार फिर यूनिवर्सिटी चर्चा में है क्योंकि कहा जा रहा है कि अलीगढ़ यूनिवर्सिटी का नाम बदल दिया जाएगा. लेकिन मजे की बात ये है कि इसमें सरकार का कोई रोल भी नहीं होगा. कैसे चलिए समझाते हैं. दरअसल अलीगढ़ नगर निगम ने शासन के पास एक प्रस्ताव भेजा है. जिसमें कहा गया है कि अलीगढ़ का नाम बदलकर हरिगढ़ कर देना चाहिए.
अलीगढ़ को हरिगढ़ करने का प्रस्ताव
अलीगढ़ नगर निगम बोर्ड की बैठक में भारतीय जनता पार्टी पार्षद संजय पंडित ने अलीगढ़ का नाम बदलने का प्रस्ताव रखा. प्रस्ताव में उन्होंने अलीगढ़ का नाम बदलकर हरिहरगढ़ रखने की मांग की. बैठक में प्रस्ताव आते ही विपक्षी पार्षदों ने हंगामा शुरू कर दिया. भाजपा के नाम में बदलाव के एजेंडे को लेकर जमकर बवाल हुआ.
हालांकि, भाजपा पार्षदों के बहुमत वाली नगर निगम बोर्ड ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. अब नगर निगम बोर्ड से पास प्रस्ताव को सरकार के पास भेजा जाएगा. सरकार की मंजूरी मिलने के बाद अलीगढ़ शहर और जिला नए नाम से जाना जाने लगेगा.
अब समझिए कि यूनिवर्सिटी का नाम कैसे बदल जाएगा क्योंकि प्रस्ताव तो अलीगढ़ का नाम बदलने का है. तो अलीगढ़ के नाम पर ही अलीगढ़ यूनिवर्सिटी का नाम पड़ा और जब शहर का ही नाम बदल जाएगा तो यूनिवर्सिटी भी हरिगढ़ यूनिवर्सिटी कहलाएगी.
माना जा रहा है कि 2024 चुनाव से पहले अलीगढ़ का नाम बदल दिया जाएगा. और ये काम एक मास्टरस्ट्रोक होगा क्योंकि अलीगढ़ यूनिवर्सिटी जितने विवादों में आजकल रहती है. वहां पढ़ाई से ज्यादा राजनीति होती है. आपको याद होगा विश्वविद्यालय में जिन्ना की फोटो को लेकर कितना बवाल हुआ था. उसके बाद हमास और फलस्तीन के लिए भी सबसे पहले अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में ही रैली निकाली गई थी.
अलीगढ़ का इतिहास
अकबर के शासनकाल में भी कोइल को काफी माना गया था और इसमें मराहर, कोल बा हवेली, थाना फरीदा और अकबरबाद के दस्ते शामिल थे. जहांगीर स्पष्ट रूप से कोल के जंगल का उल्लेख करते हैं, जहां उन्होंने भेड़ियों को मार डाला. वहीं, इब्राहिम लोधी के समय, उमर के पुत्र मुहम्मद कोल के गवर्नर थे, ने कोल में एक किला बनाया और 1524-25 में मुहम्मदगढ़ के नाम पर शहर का नाम रखा और फारुख सियार और मुहम्मद शाह के समय इस क्षेत्र के गवर्नर सबित खान ने पुराने लोदी किले का पुनर्निर्माण किया और अपने नाम सब्तगढ़ के नाम पर शहर का नाम दिया.
पहले रामगढ़ फिर अलीगढ़
कहा जाता है कि कोइल के शासक बर्गुजर राजा राव बहादुर सिंह थे, जिनके पूर्वजों ने कोइल अजीत सिंह की बेटी राजा प्रताप सिंह बरगजर के राजा के विवाह के बाद एडी 1184 से शासन किया था. जयपुर के जय सिंह से संरक्षण के साथ 1753 में जाट शासक सूरजमल और मुस्लिम सेना ने कोइल के किले पर कब्जा कर लिया, बार्गुजर राजा बहादुर सिंह ने उनके तहत एक और किले से लड़ाई जारी रखी और जो “घोसर की लड़ाई” के नाम से जानी जाती है. फिर इसे रामगढ़ का नाम दिया गया.
आखिरकार, जब शिया कमांडर नजाफ खान ने कोल पर कब्जा कर लिया, तो उन्होंने इसे अलीगढ़ का वर्तमान नाम दिया. अलीगढ़ किला जैसा कि आज है, फ्रांसीसी इंजीनियरों द्वारा फ्रांसीसी अधिकारियों बेनोइट डी बोइग्ने और पेरॉन के नियंत्रण में बनाया गया था.
विवादों से घिरी रही अलीगढ़ यूनिवर्सिटी
लेकिन ये पहली बार नहीं है अलीगढ़ यूनिवर्सिटी बहुत पहले से विवादों में रही है.
- 1992 में कश्मीर से आए शाल के गट्ठर में एके-56 रायफल पकड़ी गई थी.
- 1998 में कश्मीरी आतंकी के एएमयू में छिपे होने जानकारी पर आइबी इंस्पेक्टर राजन शर्मा हबीब हॉल के पास गए थे. आरोप है कि कुछ लोग उन्हें हॉल के अंदर खींच ले गए. विरोध करने पर राजन शर्मा को यातनाएं दी गई थीं और पीठ पर अल्लाह गोद दिया गया.
- 2001-2002 में हबीब हॉल में मुबीन नाम के छात्र को आतंकवादी संगठन से जुड़े होने के शक के आधार पर उठाया था. इसे लेकर काफी विरोध हुआ. छात्रों ने कई दिनों तक आंदोलन भी किया.
- सितंबर 2016 में जम्मू कश्मीर के उड़ी में सेना की छावनी पर आतंकवादी हमले में शहीद हुए जवानों पर एएमयू छात्र मुदासिर यूसुफ लोन ने अभद्र टिप्पणी की थी.
- फरवरी 2013 में संसद पर हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के बाद में एएमयू छात्रों ने शहीद का दर्जा दिया.
- सात जनवरी 2018 को एएमयू के हबीब हॉल में रहने वाले मन्नान की तस्वीर इंटरनेट मीडिया पर एके-47 के साथ सामने आई थी.
- छह दिसंबर 2020 को केला नगर से दिल्ली पुलिस ने अब्दुल्ला दानिश को गिरफ्तार किया था. अब्दुल्ला प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी का सर्वेसर्वा था.
लेकिन अब यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार है और अब वहां ये सब नहीं चलेगा. इसीलिए अलीगढ़ का नाम बदलने की तैयारी है जिसका विरोध होना तय है. पर ये भी तय है कि उससे योगी का फैसला बदलेगा नहीं.