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Bhai Dooj Shubh Muhurat : भाई दूज पर इस मुहूर्त पर तिलक करना लाभकारी, बढ़ेगी सुख समृद्धि! 

Bhai Dooj Shubh Muhurat : रक्षाबंधन के अलावा भाई दूज भी भाई बहन के असीम प्रेम का प्रतीक है। हिंदू पंचाग के मुताबिक हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है। वैसे तो हर साल दिवाली (Diwali) के पांचवें दिन भाई दूज मनाया जाता है। लेकिन इस साल दो दिन अमावस्या तिथि (Amavasya) होने के कारण दिवाली के छठे दिन भाई दूज है। ऐसे में लोगों को शंका है कि भाई दूज कब है? भाई को तिलक लगाने से पहले शुभ मुहूर्त (Bhai Dooj Shubh Muhurat) भी जरूर जान लें।

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Bhai Dooj Shubh Muhurat : भाई दूज पर इस मुहूर्त पर तिलक करना लाभकारी, बढ़ेगी सुख समृद्धि! 

बता दें कि द्वितीया तिथि 14 नवंबर को दोपहर 02:36 बजे से शुरू हो जाएगी और 15 नवंबर को दोपहर 01:47 बजे समाप्त होगी। ऐसे स्थिति में जो भी व्रत त्योहार होता है, तो उगते सूर्य के साथ शुरू होता उसे ही माना जाता है। ऐसे में देखा जाए तो 15 नवंबर को ही बहनों को भाई का तिलक (Bhai Dooj Tilak Muhurat) करना चाहिए।

अब भाई दूज पर तिलक करने के शुभ मुहूर्त (Bhai Dooj Shubh Muhurat) को भी जान लीजिए। इस साल भाई के तिलक लगाने के दो शुभ मुहूर्त हैं। पहला शुभ मुहूर्त 15 नवंबर को सुबह 06:44 बजे से 09:24 बजे तक है। वहीं दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 10:40 बजे से दोपहर 12 बजे तक है।

भाई दूज के दिन भाई भोर में चंद्रमा के दर्शन कर, शुद्ध जल से स्नान करे। वही तिलक और आरती के लिए थाली में कुमकुम, चंदन, सिंदूर, फल, फूल, मिठाई और सुपारी आदि सामग्री होनी चाहिए। तिलक करने से पहले चावल के मिश्रण से एक चौक बनाएं और भाई को इस पर बिठाए और शुभ मुहूर्त में बहनें उनका तिलक करें। तिलक के बाद फूल, पान, सुपारी, बताशे और काले चना भाई को दें और उनकी आरती उतारे तिलक और आरती के बाद भाई अपनी बहनों को उपहार भेंट करता है और सदैव उनकी रक्षा का वचन देता है।

भाई दूज के इतिहास की बात करें तो हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान श्री कृष्णा ने जब नरकासुर को हराया (Lord Krishna defeated Narakasura) था तो उसके बाद में अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए थे। तब सुभद्रा (Subhadra Lord Krishna Sister) ने मिठाइयों और फूलों से श्री कृष्ण का स्वागत किया और उनके माथे पर तिलक लगाया था। तभी से इस दिन भाई दूज मनाया जाने लगा। वहीं एक दूसरी कथा के मुताबिक जब मृत्यु के देवता यम (Yamraj, Lord of death) अपनी बहन यमुना से मिलने गए तो यमुना (Yamuna) ने तिलक समारोह के साथ उनका स्वागत किया। तब से यमराज ने ये निर्णय लिया कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन से तिलक कराएगा और मिठाई ग्रहण करेगा, उसे दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

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