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Delhi Liqour Case: जेल में ही रहेंगे मनीष सिसोदिया! साबित हुआ 338 करोड़ का लेनदेन? AAP को फिर लगा बड़ा झटका

दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की परेशानी फिर बढ़ गई है। निचली अदालत और हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट से भी मनीष सिसोदिया को निराशा ही मिली है। शराब घोटाले के मामले (Delhi Liqour Scam) में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के करते हुए सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज (Supreme Court Denied Manish Sisodia Bail) कर दी है, जिसके बाद उन्हें 6 महीने और सलाखों के पीछे रहना पड़ेगा। कोर्ट ने माना है कि जांच एजेंसियों ने 338 करोड़ के लेनदेन को अस्थाई रूप से साबित किया है। वहीं कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर 6 से 8 महीने में केस खत्म नहीं होता तो सिसोदिया जमानत के लिए दोबारा आवेदन दे सकते हैं।

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बता दें कि 2021 में कथित शराब घोटाले मामले के समय मनीष सिसोदिया दिल्ली के पास कई विभागों कग जिम्मेदारी थी, उनके पास आबकारी विभाग भी था। उन पर आरोप है कि उन्होंने शराब नीति में कुछ ऐसे बदलाव किए जिससे शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाया गया। इसी साल फरवरी में सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार किया था , बाद में प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने भी उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर गिरफ्तार किया था।

manish sisodia

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मनीष सिसोदिया के वकील ने पैसे के लेनदेन का कोई सबूत न होने का दावा किया। साथ ही उनकी पत्नी की खराब तबियत का हवाला देते हुए भी उनकी रिहाई की मांग की। वहीं सीबीआई और ईडी की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि व्हाट्सएप चैट समेत कई इलेक्ट्रॉनिक सबूत पैसों के लेनदेन की तरफ इशारा करते है।

जांच अधिकारियों को शक है कि जब सिसोदिया को पता चला की मामले की जांच सीबीआई करेगी तो उन्होंने अपने पुराने फोन में मौजूद सभी डिजिटल सबूतों को नष्ट कर दिया। ईडी ने अपने आरोप पत्र में पहले ही सिसोदिया पर एक दर्जन से ज्यादा फोन इस्तेमाल करने और सबूतों को नष्ट के आरोप लगाए थे।

ईडी का दवा है कि लाभार्थी कंपनियों ने 100 करोड रुपए की रिश्वत दी थी। जिसके बाद मनीष सिसोदिया ने प्रॉफिट के लालच में एक्साइज ड्यूटी को 5 से बढ़ाकर 12 प्रतिशत किया। निचली अदालत और हाई कोर्ट ने पहले ही इन दोनों मामलों में उनकी जमानत याचिका ठुकरा चुके हैं। निचली अदालत का कहना था कि आबकारी नीति में बदलाव कर उन्होंने घोटाले में मुख्य भूमिका निभाई है, जबकि हाई कोर्ट ने आरोपों को गंभीर बताते हुए बेल देने से मना कर दिया था। जिसके बाद सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने भी जांच पूरी होने तक सिसोदिया की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया।

सिसोदिया की जमानत अर्जी खारिज होने की एक नहीं कई वजह है। सिसोदिया पर सबूतों को नष्ट करने का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट ने माना की जांच एजेंसियों ने 338 करोड रुपए के लेनदेन को अस्थाई रूप से साबित किया है और यह मनीष सिसोदिया के लिए बड़ा झटका है। वही आम आदमी पार्टी इस मामले में किसी तरह का लेनदेन न होने का दावा कर रही है। जांच एजेंसियों ने कोर्ट में कहा अगर सिसोदिया को जमानत दी गई तो वो गवाहों को डरा धमकाने की कोशिश कर सकते हैं जिससे गवाह बयानों से मुकर जाएंगे। इसी के साथ मनीष सिसोदिया पर इस मामले में अन्य मुख्य आरोपियों से संबंध होना भी उनके खिलाफ गया।

फिलहाल मनीष सिसोदिया को बेल नहीं मिलना ईडी और सीबीआई के लिए बड़ी जीत माना जा रहा है। जांच एजेंसियां इस आदेश को जमानत की सुनवाई के दौरान उनकी दलीलों और शीर्ष अदालत के समक्ष पेश किए गए सबूतों की स्वीकृति के रूप में देख रहे हैं। फिलहाल सुनवाई के बाद अब मनीष सिसोदिया को कुछ और महीने जेल में ही बिताने होंगे।

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