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कार्यक्रमों में पानी पर पाबंदी, शुद्धता सर्टिफिकेट के बिना नहीं मिलेगा पिलाने का अनुमति

UP News : अब सामूहिक रूप से होने वाले कार्यक्रमों में शामिल हुए लोगों को बिना टेस्ट लैब के जांच के पेयजल नहीं पिला पाएंगे। कार्यक्रमों में पिलाये जाने वाले पानी के नमूनों का परीक्षण पहले जलकल की लैब में कराना होगा। इसमें स्कूल-कालेजों के साथ ही होटल, रेस्टोरेंट, सामुदायिक भवन, होटस्ट हाउस, पेट्रोल पंप, गैस एजेंसी, फैक्ट्री और अन्य व्यावसायिक स्थल शामिल हैं।

टंकियों की जांच के लिए बनेगी टीम

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अभी जलकल द्वारा जलापूर्ति होने वाले पानी का परीक्षण किया जाता है। अब लैब में और उपकरण लगाए जाएंगे, साथ ही नमूनों को लेने और टंकियों की जांच के लिए टीम बनेगी। इसके लिए जलकल में खाका तैयार किया जा रहा है। नगर निगम सदन का आदेश जारी होते ही यह व्यवस्था लागू कर दी जाएगी। जलकल का पेयजल प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य होगा। प्रमाण पत्र नहीं होने पर जुर्माना लगाया जाएगा। प्रतिष्ठानों की सूची बनाने के लिए जोनवार सर्वे किया जाएगा।

IIT के मानक के अनुरूप की जाएगी जांच

नगर निगम सदन की 23 दिसंबर को हुई बैठक में फैसला लिया गया था कि 20 कर्मचारियों से ज्यादा वाले प्रतिष्ठानों में पीने के पानी के नमूनों का परीक्षण साल में एक बार जरूर किया जाएगा। परीक्षण कराने के लिए सौ रुपये का फार्म भरना होगा। नमूने लेने के लिए यात्रा शुल्क पांच सौ रुपये और केमिकल व बैक्टीरियो लाजिकल टेस्ट शुल्क 45 सौ रुपये देना होगा। आइआइटी के मानक के अनुरूप जांच की जाएगी। प्रमाण पत्र का प्रतिवर्ष नवीनीकरण भी कराना होगा। नवीनीकरण नहीं कराने पर वार्षिक शुल्क का दोगुना जुर्माना देना होगा। टंकी की हर तीन माह में सफाई करानी होगी।

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महाप्रबंधक आनंद त्रिपाठी ने बताया कि जोनवार टीमें गठित की जाएंगी। यह अपने क्षेत्र के प्रत्येक प्रतिष्ठानों को चिह्नित करेगी और पानी के नमूनों का परीक्षण कराने के लिए कहेगी। जलकल मुख्यालय में बनी पानी के नमूनों के परीक्षण की लैब को और विस्तृत किया जाएगा। जलकल में एक कंट्रोल रूम गठित किया जाएगा। पानी के नमूनों का परीक्षण न कराने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। नगर निगम सदन से आदेश जारी होने के बाद जल परीक्षण शुरू कर दिया जाएगा।

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