Akash Anand News: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से निष्कासित कर एक बार फिर साबित कर दिया कि उनकी कुर्सी से बड़ा कोई नहीं। लेकिन इस बार उनका यह फैसला उल्टा पड़ता दिख रहा है। 2 मार्च 2025 को लखनऊ में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मायावती ने आकाश को सभी पदों से हटाने का ऐलान किया। वजह? उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ पर गुटबाजी और धन उगाही का आरोप। लेकिन सोशल मीडिया, खासकर X पर, आकाश आनंद के समर्थन में जो लहर उठी है, वह मायावती के इस कदम को चुनौती दे रही है। लोग सवाल उठा रहे हैं- क्या यह फैसला बसपा को बचाने के लिए था या अपने परिवार के उभरते सितारे को कुचलने की साजिश?
आकाश के पक्ष में उमड़ा जनसैलाब
X पर #JusticeForAkashAnand ट्रेंड कर रहा है। यूजर्स मायावती को “तानाशाह” करार दे रहे हैं और आकाश को “दलितों का नया नायक” बता रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “मायावती ने आकाश को निकालकर अपनी कब्र खुद खोदी। वह युवा शक्ति थी, जिसे बसपा को जरूरत थी।” आकाश की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी रैलियों में भीड़ उमड़ रही थी। युवा, जोश और दलितों के लिए नई सोच- ये वो गुण हैं जो आकाश को मायावती से अलग बनाते हैं। फिर मायावती को यह फैसला क्यों लेना पड़ा? क्या वह आकाश की बढ़ती लोकप्रियता से डर गईं?
ससुर पर आरोप, लेकिन असली निशाना आकाश?
मायावती ने आकाश के ससुर अशोक सिद्धार्थ पर पार्टी में गुटबाजी और भ्रष्टाचार का ठीकरा फोड़ा। लेकिन जानकारों का कहना है कि यह महज बहाना है। आकाश ने पिछले कुछ सालों में बसपा को नई दिशा देने की कोशिश की थी। उन्होंने युवाओं को जोड़ा, सोशल मीडिया पर पार्टी की मौजूदगी बढ़ाई और दलित मुद्दों को नए अंदाज में उठाया। X पर उनके समर्थक लिख रहे हैं, “आकाश ने बसपा को 21वीं सदी में लाने की कोशिश की, लेकिन मायावती पुरानी सोच से बाहर नहीं निकल पाईं।” क्या मायावती को यह डर सता रहा था कि आकाश उनकी छाया से बाहर निकलकर बसपा के असली चेहरे बन जाएंगे?
दलितों का भविष्य आकाश के साथ
मायावती ने Akash Anand के पिता आनंद कुमार और रामजी गौतम को नया को-ऑर्डिनेटर बनाया, लेकिन कार्यकर्ताओं में इसे लेकर कोई उत्साह नहीं दिख रहा। सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि आकाश ही वह चेहरा थे जो बसपा को फिर से मजबूत कर सकते थे। एक समर्थक ने लिखा, “2024 में हार के बाद मायावती को खुद को दोष देना चाहिए था, न कि आकाश को।” विश्लेषकों का भी मानना है कि आकाश के बिना बसपा का भविष्य अधर में है। मायावती का यह फैसला उनकी साख को और कमजोर कर सकता है।
Akash Anand का समय अभी बाकी
मायावती भले ही Akash Anand को पार्टी से निकाल दें, लेकिन दलित युवाओं के दिलों से उन्हें निकालना आसान नहीं। X पर लोग उन्हें “नया कांशीराम” कहकर पुकार रहे हैं। यह साफ है कि आकाश आनंद की कहानी अभी खत्म नहीं हुई- शायद यह बसपा के बाहर उनके नए सफर की शुरुआत है।
Mayawati Fire Akash Anand: आकाश आनंद बसपा से निष्कासित, पार्टी में उथल-पुथल
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