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Friday, February 21, 2025
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Atul Pradhan chain protest: अतुल प्रधान का जंजीरों में बंधकर विरोध प्रदर्शन, अमेरिका की नीति पर सवाल उठाए

Atul Pradhan chain protest: समाजवादी पार्टी (SP) के विधायक अतुल प्रधान ने 18 फरवरी 2025 को एक अनोखा विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने खुद को गले से लेकर पांव तक जंजीरों में बांधकर उत्तर प्रदेश विधानसभा में प्रवेश किया। Atul Pradhan का यह प्रदर्शन अमेरिका द्वारा भारतीय नागरिकों को डिपोर्ट करने के खिलाफ था। अतुल प्रधान ने कहा कि इस नीति से भारतीयों का अपमान हुआ है। उनका कहना था कि उन्हें खुद जंजीरों में बंधे हुए डेढ़ घंटे हो गए हैं और इसे सहन करना उनके लिए मुश्किल हो रहा है। Atul Pradhan ने यह सवाल उठाया कि अगर उन्हें यह स्थिति इतनी कठिन लग रही है, तो उन भारतीय नागरिकों का क्या हाल हुआ होगा, जिन्हें अमेरिका से वापस भेजा गया है।

अमेरिका की डिपोर्टेशन नीति पर सवाल

Atul Pradhan ने कहा, “मुझे यह जंजीरें बांधे हुए डेढ़ घंटा हो गया है, और यह सहन करना कठिन है। अगर मुझे यह मुश्किल हो रहा है, तो जिन भारतीयों को अमेरिका से डिपोर्ट किया गया है, उन्होंने कितनी कठिनाइयों का सामना किया होगा।” उन्होंने इसे भारतीयों के खिलाफ एक अन्याय बताया और अमेरिका की डिपोर्टेशन नीति की आलोचना की। प्रधान का कहना था कि ट्रंप प्रशासन के तहत यह कार्रवाई भारतीय नागरिकों के अपमान के समान है।

डिपोर्टेशन की पृष्ठभूमि

अमेरिका ने हाल ही में अवैध प्रवासियों को डिपोर्ट करने की प्रक्रिया शुरू की है। 5 फरवरी 2025 को, 104 भारतीय नागरिकों को एक अमेरिकी सैन्य विमान द्वारा अमृतसर भेजा गया था। इसके बाद 116 भारतीयों को लेकर दूसरा विमान शनिवार को भारत पहुंचा। 16 फरवरी 2025 को 112 और भारतीयों को लेकर तीसरा विमान अमृतसर पहुंचा। ये सभी कार्रवाई डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा अवैध प्रवासियों को उनके देश वापस भेजने के कार्यक्रम का हिस्सा थी।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया चर्चा

अतुल प्रधान का यह प्रदर्शन न केवल अमेरिका की डिपोर्टेशन नीति के खिलाफ था, बल्कि उन्होंने भारत सरकार से इन डिपोर्ट किए गए नागरिकों के समर्थन की मांग की। उन्होंने इन नागरिकों को उनके अधिकार वापस दिलाने की अपील की और कहा कि उन्हें इस अपमान से बचाया जाना चाहिए। सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर विभिन्न प्रतिक्रियाएं आईं। कई लोगों ने अतुल प्रधान के प्रदर्शन का समर्थन किया, जबकि कुछ ने इसे राजनीतिक स्टंट के रूप में देखा।

अतुल प्रधान का यह कदम भारतीय प्रवासियों के मुद्दे पर जागरूकता फैलाने और अंतरराष्ट्रीय नीतियों पर सवाल उठाने का एक प्रयास था।

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