Bahraich violence: बहराइच जिले में हाल ही में हुई हिंसा के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। एसपी वृंदा शुक्ला ने 29 पुलिसकर्मियों, जिनमें हेड कांस्टेबल और सिपाही शामिल हैं, को लाइन हाजिर कर दिया है। यह कार्रवाई हरदी और राम गांव थाने में तैनात पुलिसकर्मियों के खिलाफ की गई है। इस कार्रवाई का उद्देश्य स्थिति को नियंत्रित करना और पूर्ववर्ती हिंसा की घटनाओं की जिम्मेदारी तय करना है। पुलिस अधीक्षक ने सभी लाइन हाजिर किए गए कर्मचारियों को लाइन में आमद दर्ज कराने का निर्देश दिया है। इसके परिणामस्वरूप अन्य पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है, जिससे पुलिस प्रशासन में तनाव और गतिविधियों में तेजी आ गई है।
बहराइच में 13 अक्टूबर को हरदी थाना क्षेत्र के महराजगंज में हुई हिंसा के बाद 14 अक्टूबर को आगजनी और वाहनों में तोड़फोड़ की घटनाएँ हुई थीं। इस हिंसा के बाद पुलिस महकमे के कई अधिकारियों पर पहले ही कार्रवाई की जा चुकी है, जिसमें सीओ, थानाध्यक्ष, चौकी इंचार्ज और तहसीलदार शामिल हैं। अब 29 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर करके एसपी ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। हरदी थाने के 14 और राम गांव थाने के 15 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किया गया है, और उनके स्थान पर अन्य पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।
इस बीच, Bahraich मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में बुधवार को सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना। कोर्ट ने सरकार और पीड़ितों को मामले में अपने-अपने साक्ष्य और दस्तावेज पेश करने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई 4 नवंबर को होगी, तब तक बुलडोजर कार्रवाई पर रोक जारी रहेगी।
कानपुर में छात्रों का तांडव: कोचिंग मंडी में दिनदहाड़े बीच सड़क पर युवक की बर्बर पिटाई
20 अक्टूबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के दौरान बुलडोजर कार्रवाई पर 15 दिन के लिए रोक लगा दी थी। पीडब्ल्यूडी विभाग ने जिन 23 घरों या दुकानों पर नोटिस चिपकाया था, उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए 15 दिनों का समय दिया गया है। Bahraich हिंसा के मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद सहित 23 लोगों के घरों और दुकानों पर पीडब्ल्यूडी ने नोटिस चस्पा कर दिया था, जो सरकारी रास्ते पर अतिक्रमण हटाने को लेकर था। यह घटनाक्रम बहराइच की स्थिति को और जटिल बना रहा है, और आगे की सुनवाई का इंतजार किया जा रहा है।