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Wednesday, April 2, 2025
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बेहमई हत्याकांड : 43 साल बाद आया फैसला, एक को उम्रकैद, फूलनदेवी सहित 36 डकैत थे आरोपी

कानपुर देहात (Kanpur Dehat) के बहुचर्चित बेहमई हत्याकांड (Behmai massacre) का ठीक 43 साल बाद फैसला आया है। बुधवार को एंटी डकैती कोर्ट ने आरोपी श्याम बाबू (80) को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई तो वहीं एक आरोपी विश्वनाथ (55) को बरी कर दिया है। 14 फरवरी 1981 को हुए इस हत्याकांड में फूलनदेवी, मुस्तकीम, राम प्रकाश और लल्लू समेत 36 डकैत शामिल थे।

क्या था बेहमई हत्याकांड और कब हुआ था

Behmai murder case: Verdict came after 43 years, life imprisonment to one, 36 dacoits including Phoolandevi were accused

14 फरवरी 1981 को दोपहर के दो से ढाई बजे का समय था। फूलनदेवी और उसके साथ डकैत मुस्तकीम, रामप्रकाश और लल्लू गैंग के तकरीबन 35-36 लोगों ने बेहमई गांव को घेर कर लूटपाट शुरू कर दी। मर्दों को घर से बाहर खींचकर लाया गया और गांव में एक टीले के पास 26 लोगों को इकट्ठा किया गया।

इसके बाद फूलनदेवी और उसके साथियों ने सभी को लाइन में खड़ा किया। फिर इन लोगों पर ताबड़तोड़ 4 से 5 मिनट तक गोलियां बरसाईं। जिसमें से 20 लोगों की मौत हो गई, जबकि 6 लोग घायल हो गए। इसके बाद फूलनदेवी और उसके साथ आए डकैत गांव से निकल गए। इसके बाद गांव के ठाकुर राजाराम ने घटना की पुलिस को सूचना दी।

3 से 4 घंटे बाद पुलिस अधिकारी जब वहां पहुंचे तो उन्होंने देखा कि गांव से सिर्फ औरतों और बच्चों की रोने की दूर-दूर तक आवाजें आ रही थीं। ठाकुर राजाराम ने तब फूलनदेवी, मुस्तकीम, राम प्रकाश और लल्लू समेत 36 डकैतों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद पुलिस ने फूलनदेवी की तलाश की, मगर फूलनदेवी को पकड़ नहीं पाई।

बेहमई हत्याकांड के बाद तत्कालीन सीएम वीपी सिंह ने दिया था इस्तीफा

Behmai murder case: Verdict came after 43 years, life imprisonment to one, 36 dacoits including Phoolandevi were accused

बेहमई कांड के बाद दबाव में आकर तब के यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीपी सिंह ने इस्तीफा दे दिया था। कई जगह धरना प्रदर्शन हुए। इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सेना की सबसे ताकतवर टुकड़ियों और एसटीआइ की टीमों को मैदान में उतारा। फूलनदेवी की गैंग के कई सदस्य मारे गए, लेकिन फूलनदेवी को पकड़ नहीं पाए। इस दौरान फूलनदेवी ने कई और लोगों को अपना निशाना भी बनाया।

पुलिस एनकाउंटर में मारे गए आरोपी

  • बलवान एनकाउंटर 24 फरवरी 1981 जगह- कालपी
  • लल्लू एनकाउंटर 24 फरवरी 1981 जगह-कालपी
  • बलराम सिंह चैहान, एनकाउंटर 24 फरवरी 1981 जगह-कालपी
  • वृंदावन, एनकाउंटर 24 फरवरी, 1981 जगह-कालपी
  • श्याम, एनकाउंटर 24 फरवरी, 1981 जगह-कालपी
  • राम प्रकाश एनकाउंटर 24 फरवरी, 1981 जगह-कालपी
  • छोटे मल्लाह एनकाउंटर 4 मार्च, 1981 जगह – सिकरोड़ी, इटावा
  • मुस्तकीम एनकाउंटर 4 मार्च 1981, जगह-दस्तमपुर, कानपुर देहात
  • मोती एनकाउंटर 24 मार्च 1981 जगह-कुठौंन
  • ललतू एनकाउंटर 31 मार्च 1981 जगह-गुलौली, जालौन
  • रामशंकर, एनकाउंटर 31 मार्च 1981 जगह-गुलौली, जालौन

अभी तक जो आरोपी जिंदा हैं

  • विश्वनाथ महेशपुर, कानपुर देहात, पुलिस ने पकड़ा तब नाबालिग था
  • श्याम बाबू साडा गांव, इटावा

फूलनदेवी ने MP के तत्कालीन CM के कहने पर किया सरेंडर

Behmai murder case: Verdict came after 43 years, life imprisonment to one, 36 dacoits including Phoolandevi were accused

1983 में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के कहने पर फूलनदेवी ने अपने गैंग के 10 लोगों के साथ सरेंडर कर दिया। फूलनदेवी 11 साल के लिए जेल भेजी गईं, जिसके बाद 1994 में रिहा हुईं। इसके बाद फूलन देवी ने राजनीति में कदम रख दिया।

बता दें कि वह 2 बार मिर्जापुर से सांसद रह चुकी हैं। साल 2001 में 25 जुलाई को दिल्ली में उनके बंगले के गेट पर शेर सिंह राणा नाम के शख्स ने दो अन्य साथियों के साथ मिलकर उन पर हमला कर दिया। उसने फूलनदेवी को 5 गोलियां मारीं, जिससे उनकी मौत हो गई।

ये है बेहमई कांड की टाइमलाइन

  • 14 फरवरी, 1981 में फूलन और उसके गिरोह ने बेहमई गांव में 20 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी।
  • 15 फरवरी, 1981 में बेहमई गांव के मरजाद सिंह को घर की छत पर तीन लेटर मिले, इसमें 12 डकैतों के नाम लिखे थे, केस दर्ज करवाने वाले राजाराम ने सिर्फ चार नाम अपनी तहरीर में दिए थे, बाकियों को कोई नहीं पहचानता था।
  • 3 मार्च, 1981 में लेटर में लिखे नामों में से पहली गिरफ्तारी रामकेश की हुई।
  • 3 मार्च से 6 अप्रैल, 1981 को हत्याकांड के बाद पुलिस ने 11 लोगों के एनकाउंटर किए।
  • 7 अप्रैल, 1981 में बेहमई कांड के सबसे पहले पकड़े गए आरोपी डकैत रामकेश के खिलाफ चार्जशीट सबमिट की गई।
  • 28 जून, 1982 में बेहमई कांड से बने दबाव के बाद तब सीएम रहे विश्वनाथ प्रताप सिंह ने इस्तीफा दिया।
  • 13 फरवरी, 1983 में मध्यप्रदेश के सीएम अर्जुन सिंह के कहने पर फूलन ने गिरोह के साथ सरेंडर कर दिया, 11 साल जेल में रही।
  • 14 फरवरी, 2024 में 43 साल बाद फैसला आया। एक आरोपी को उम्रकैद की सजा हुई, जबकि एक बरी हो गया।

एक नजर में फूलनदेवी के बारे में जानिए

Behmai murder case: Verdict came after 43 years, life imprisonment to one, 36 dacoits including Phoolandevi were accused

  • जन्म 10 अगस्त, 1963
  • मर्डर 25 जुलाई, 2001
  • 11 साल की उम्र में फूलन देवी की शादी उनसे 35 साल बड़े पुत्ती सिंह मल्लाह से कर दी गई थी।
  • बाबू गुर्जर को मारने के बाद विक्रम मल्लाह और फूलन ने अपनी गैंग बनाई, छोटी-मोटी लूटपाट करने लगे।
  • 1979 में फूलन चंबल पहुंचीं, डाकू बाबू गुर्जर ने पनाह दी, विक्रम मल्लाह ने हथियार चलाना सिखाया।
  • डाकू श्रीराम और लाला राम ने फूलन को किडनैप किया, 3 हफ्ते तक 30 से ज्यादा लोगों ने गैंगरेप किया।
  • फूलन के दो साथियों ने उन्हें कैद से छुड़ाया, चंबल से लौटने के बाद फूलन ने बड़ी गैंग बना ली।
  • 14 फरवरी, 1981 को फूलन गैंग के साथ पुलिस की ड्रेस में बेहमई गांव पहुंचीं और 20 लोगों की हत्या कर दी।
  • भिंड के एसपी रहे राजेंद्र चतुर्वेदी ने फूलन को सरेंडर के लिए मनाया।
  • 12 फरवरी, 1983 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में तब ब्ड रहे अर्जुन सिंह के सामने सरेंडर किया।
  • 11 साल जेल में रहीं, 1994 में रिहा होने के बाद 1996 और 1999 में मिर्जापुर से सांसद चुनी गईं।
  • 2001 में शेर सिंह राणा नाम के शख्स ने दिल्ली में गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।

By Abhilash Bajpai 

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