सरकार बोली-हत्या-रेप-आतंक के दोषियों पर भी बुलडोजर नहीं
Delhi। बुलडोजर एक्शन के खिलाफ दाखिल याचिका की सुनवाई के दौरान Supreme Court ने यूपीस एमपी और राजस्थान की सरकारों से पूछा कि क्या दोषी करार देने पर भी किसी की संपत्ति तोड़ी जा सकती है? जिस पर प्रदेश सरकारों के सॉलिसिटर जनरल (SG) ने कहा कि नहीं। SG vs यहां तक कहा कि हत्या, रेप और आतंक के केस के आधार पर भी नहीं। उधर, कोर्ट ने अतिक्रमण को लेकर साफ कहा कि ये किसी भी धर्म के लिए या किसी धर्म से जुड़े लोगों द्वारा किया गया हो, उसे हटाने में छूट किसी को नहीं मिलेगी। बल्कि अतिक्रमण करने पर बुलडोजर की कार्रवाई सब पर होगी। गौरतलब है कि देशभर में चल रहे बुलडोजर एक्शन के खिलाफ दाखिल जमीयत उलेमा ए हिंद की ओर से सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की गई थी। उसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है।
ये बेंच कर रही सुनवाई
इस मामले की सुनवाई जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच कर रही है। पिछली सुनवाई में बेंच ने बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाई थी। बेंच ने कहा था कि सिर्फ सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण को हटाने की ही छूट होगी। यूपी, एमपी और राजस्थान की ओर से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता आज बेंच के सामने पेश हुए। बेंच ने उनसे पूछा कि क्या दोषी करार देने पर भी किसी की संपत्ति तोड़ी जा सकती है ? इस पर तुषार मेहता ने कहा कि नहीं, बिल्कुल नहीं। यहां तक कि हत्या, रेप और आतंक के केस के आधार पर भी नहीं।
सबके लिए जारी होंगी गाइडलाइन
बेंच ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं। हम (बेंच) सबके लिए गाइडलाइन जारी करेंगी। अवैध निर्माण हिंदू, मुस्लिम कोई भी कर सकता है। निर्देश सभी के लिए होंगे, वो चाहें किसी भी धर्म या समुदाय से हो। बेशक, हमने कहा है कि अतिक्रमण सार्वजनिक सड़क, फुटपाथ, जल निकाय या रेलवे लाइन क्षेत्र कहीं हो। सड़क के बीच में कोई धार्मिक स्थल चाहे गुरुद्वारा हो. दरगाह या मंदिर मंदिर हो सार्वजनिक बाधा नहीं बन सकते। जस्टिस गवई ने कहा कि चाहे कोई धार्मिक स्थल हो, उसे जाना ही होगा, क्योंकि सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है।