प्रतापगढ़-जिस तिरंगें की ख़ातिर ना जाने कितने रणबांकुरों ने अपने प्राणों की आहूति दी, ना जाने कितने महान क्रांतिकारी तिरंगें की आन-बान और शान के लिए कुर्बान हो गए, उसी तिरंगें को पैसों के लालची अधिकारियों ने भ्रष्टाचार के शिकंजे में फंसा दिया। मामला प्रतापगढ़ ज़िले का है, जिसके धीरे-धीरे परतें खुलती जा रही है। दरअसल हर घर तिरंगा अभियान के तहत सरकार ने महिलाओं को रोज़गार देने के मकसद से तिरंगा बनाने का काम महिला समूह को सौंपा था, जिसमें जिले को हर महिला समूह को 32 से 35 हज़ार तिरंगे झंडे बनाने का टारगेट दिया गया था और इसमें 17 महिला समूह को करीब 55 लाख रूपया एडवांस में भेजा गया। आरोप ये है कि कुछ लालची अधिकारियों ने अपने चहेते ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने और कमीशनखोरी के चक्कर में महिला समूहों में शामिल महिलाओं को गबरू ट्रेडर्स के खाते में ट्रांसफर करने का दबाव बनाया और ऐसा करने पर उनको गबन करने की धमकी दी, नोटिस जारी किए गए।
पहले जानिए पूरा मामला क्या था, क्यों महिला समूहों को दिया था काम
प्रतापगढ़ में ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को सफल बनाने के लिए 17 विकास खंडों में कम्युनिटी लेवल फेडरेशन को तिरंगा बनाने का काम सौंपा और लक्ष्य रखा ग्राम पंचायत पर ब्लॉक लेवल पर 500 से 600 तिरंगे मुहैया कराने थे, अब इसके लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत काम करने वाली महिला समूहों की सदस्यों को दिया। 9 अगस्त को 17 ब्लॉक में एडवांस रकम के रूप में 50 फीसदी यानि करीब 55
लाख रूपए भेजे गए जो 13 अगस्त को खातों में पहुंच गए, लेकिन उसी दिन यानि की 13 अगस्त को ही बाबा बेलखरनाथ धाम के बीडीओ राजीव पांडेय ने सभी सीएफएल को सारे पैसे को अपने चहेते ठेकेदार की फर्म गबरू ट्रेडर्स के खाते में ट्रांसफर करने का आदेश दे दिया।
महिलाओं ने किया विरोध तो शुरू हो गई जांच
बीडीओ के लगातार पैसे ट्रांसफर के नोटिस से आजिज़ आ चुकी महिलाओं ने विरोध दर्ज कराया और उनको ये भी पता नहीं कि झंडे कहां बने और कहां बटें, पैसा आया नहीं, बीडीओ से हिसाब मांगा तो गबन में फंसाने की धमकी मिल गई और दूसरी सबसे बड़ी बात ये है कि आखिरकार एक दिन में 5 लाख तिरंगे झंडे कैसे तैयार हो गए और ब्लॉक लेवल पर डिमांड 36 हज़ार की थी तो फिर वहां पर संख्या से कम झंडे क्यों भेजे गए, यं तमाम सवाल इसलिए भी खड़े हो रहे है कि 13 अगस्त को पैसा खाते में आया और फिर एक ही दिन में कपड़ा खरीदना, फिर झंडा बनाना और फिर उसके बाद उसकी सप्लाई करना ये कैसे संभव हो सकता है।
मोहसिन खान