Delhi Mayor Election: दिल्ली में होने वाले मेयर चुनाव से पहले ही भारतीय जनता पार्टी ने बाज़ी मार ली है। 25 अप्रैल को प्रस्तावित चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) ने उम्मीदवार न उतारने का फैसला किया, जिससे बीजेपी की जीत निर्विरोध हो गई। इस घटनाक्रम ने दिल्ली की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। आप ने इस फैसले के साथ ही बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पार्टी का कहना है कि बीजेपी ने लोकतांत्रिक संस्थाओं के साथ खिलवाड़ किया है और एमसीडी को राजनीतिक अखाड़ा बना दिया है।
MCD मेयर चुनाव में AAP इस बार नहीं उतारेगी अपना उम्मीदवार‼️
👉 BJP ने पहले भी MCD का चुनाव रुकवा दिया था। परिसीमन के दौरान वार्डों को इधर-उधर किया गया
👉 परिसीमन के दौरान जबरदस्त गड़बड़ी और भ्रष्टाचार किया गया। इसके बावजूद BJP चुनाव हारी और AAP की सरकार बनी
👉 इसके बाद भी… pic.twitter.com/yHY5oEMVoc
— Aam Aadmi Party Delhi (@AAPDelhi) April 21, 2025
AAP नेताओं सौरभ भारद्वाज और आतिशी ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि बीजेपी की नीयत शुरू से ही सत्ता हड़पने की रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि मार्च 2022 में जब एमसीडी चुनाव की घोषणा होने वाली थी, तब बीजेपी ने चुनाव आयोग की प्रेस कांफ्रेंस रुकवा दी और चुनाव टालने का दबाव बनाया। इसके बाद परिसीमन की प्रक्रिया शुरू की गई, जिसमें वार्डों की सीमाएं इस तरह से बदली गईं जिससे बीजेपी को फायदा और AAP को नुकसान पहुंचे।
आप का आरोप है कि परिसीमन के दौरान आप के गढ़ वाले क्षेत्रों को एक वार्ड में समेट दिया गया, जबकि बीजेपी समर्थक इलाकों को कई छोटे वार्डों में बांट दिया गया ताकि गिनती में बीजेपी को अधिक सीटें मिल सकें। इसके बावजूद दिसंबर 2022 में हुए एमसीडी चुनाव में आप को 134 सीटें मिलीं और बीजेपी को 104 सीटें ही मिल पाईं।
आप नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि एमसीडी Delhi Mayor Election की बैठकों में बीजेपी पार्षदों ने लगातार अव्यवस्था फैलाई। सौरभ भारद्वाज ने उदाहरण दिया कि एक बैठक के दौरान वर्तमान मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता माइक तोड़ रही थीं और हंगामा कर रही थीं। इसी प्रकार की घटनाओं के कारण आप ने इस बार मेयर चुनाव से दूरी बना ली है।
बीजेपी ने आम आदमी पार्टी के इस Delhi Mayor Election फैसले को अपनी जीत करार दिया है, जबकि आप इसे लोकतंत्र को बचाने की रणनीति बता रही है। यह चुनाव अब सिर्फ मेयर पद का नहीं, बल्कि दिल्ली की राजनीति में नैतिकता और अधिकार की लड़ाई का प्रतीक बन गया है।