रामलीला मैदान को माफिया से मुक्त कराने की मांग: दशहरा पर्व के आयोजन में अड़चन
अमेठी: जनपद के रामलीला मंथन कमेटी के कार्यकर्ताओं ने जिला मुख्यालय गौरीगंज पहुंचकर एक ज्ञापन के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि रामलीला मैदान से माफिया और भूमाफियाओं के कब्जे को हटाया जाए। कार्यकर्ताओं का कहना है कि दशहरे के मौके पर हर साल की तरह इस साल भी रावण का दहन रामलीला मैदान में होना चाहिए, लेकिन वर्तमान में भूमाफियाओं द्वारा इस धार्मिक स्थल पर अवैध कब्जा कर लिया गया है।
रामलीला मंथन कमेटी ने ज्ञापन के जरिए यह जानकारी दी कि गौरीगंज के रामलीला मैदान पर कई सालों से धार्मिक आयोजन होते आए हैं। खासकर दशहरे के दिन रावण का पुतला दहन यहां पर प्रमुख रूप से होता है। यह मैदान सिर्फ एक आयोजन स्थल नहीं है, बल्कि यह लोगों की धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ है। दशहरा के समय रावण दहन की परंपरा यहां कई सालों से निभाई जा रही है, लेकिन अब भूमाफियाओं द्वारा इस मैदान पर कब्जा कर लिया गया है, जिससे धार्मिक आयोजन करना मुश्किल हो गया है।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने कई बार अधिकारियों को इस समस्या से अवगत कराया है, लेकिन अब तक कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई। इससे लोगों में नाराजगी और असंतोष बढ़ रहा है। यह मामला केवल जमीन से जुड़ा नहीं है, बल्कि लोगों की धार्मिक भावनाओं और परंपराओं से भी जुड़ा हुआ है। रामलीला मैदान पर दशहरे के आयोजन के लिए साफ और सुरक्षित स्थान की जरूरत है, लेकिन भूमाफियाओं द्वारा कब्जा किए जाने के कारण यहां आयोजन कर पाना मुश्किल हो गया है।
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि रामलीला मैदान को मुक्त कराना आवश्यक है ताकि दशहरा के दौरान रावण दहन का आयोजन सफलतापूर्वक हो सके। कमेटी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाए और जल्द से जल्द कार्रवाई की जाए। भूमाफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रामलीला मैदान को खाली कराया जाए, ताकि दशहरे का आयोजन शांति और सुरक्षा के साथ हो सके।
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रामलीला मंथन कमेटी के कार्यकर्ताओं ने जोर देकर कहा कि रामलीला मैदान एक धार्मिक स्थल है, और इसे सुरक्षित रखना प्रशासन की जिम्मेदारी है। अगर भूमाफियाओं के कब्जे को तुरंत नहीं हटाया गया, तो दशहरे का पारंपरिक आयोजन बाधित हो सकता है, जिससे क्षेत्र के लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत होंगी।
इसके अलावा, कार्यकर्ताओं ने कहा कि रामलीला मैदान न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का भी प्रतीक है। दशहरे जैसे महापर्व का आयोजन समाज के सभी वर्गों को एकजुट करता है और सद्भावना का संदेश देता है। ऐसे में भूमाफियाओं का अवैध कब्जा इस सांस्कृतिक आयोजन को बाधित कर रहा है, जिससे समाज में असंतोष बढ़ रहा है।
उन्होंने प्रशासन से यह मांग की कि भूमाफियाओं को जल्द से जल्द हटाकर रामलीला मैदान को लोगों के लिए फिर से खुला और सुरक्षित किया जाए। साथ ही, इस मैदान पर दशहरे के अलावा अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों की भी अनुमति दी जानी चाहिए, ताकि यहां की परंपरा और संस्कृति जीवित रह सके।
कमेटी के कार्यकर्ताओं ने यह भी बताया कि दशहरे के समय रामलीला मैदान पर सैकड़ों लोग इकट्ठा होते हैं और रावण दहन का दृश्य देखने आते हैं। यह आयोजन बच्चों, बूढ़ों और युवाओं के लिए खास होता है, और इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत ज्यादा है। इस आयोजन के जरिए लोगों को अच्छाई की बुराई पर जीत का संदेश दिया जाता है, और यह परंपरा कई सालों से चली आ रही है। लेकिन अगर प्रशासन ने समय रहते भूमाफियाओं के कब्जे को नहीं हटाया, तो इस साल का आयोजन प्रभावित हो सकता है, जो कि समाज के लिए एक बड़ी क्षति होगी।
ज्ञापन के जरिए रामलीला मंथन कमेटी ने स्पष्ट किया कि उनकी मांगें पूरी तरह से न्यायसंगत हैं और प्रशासन को इस पर तुरंत ध्यान देना चाहिए। भूमाफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए रामलीला मैदान को जल्द से जल्द मुक्त कराया जाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में रुकावट पैदा हो सकती है, जो कि समाज के लिए नुकसानदेह होगा।
कमेटी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करते हुए कहा कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें और रामलीला मैदान को भूमाफियाओं के कब्जे से मुक्त कराएं ताकि दशहरे का पर्व शांति और सद्भाव के साथ मनाया जा सके।