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Friday, March 14, 2025
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DOGE Controversy: ट्रंप प्रशासन बनाम मस्क… DOGE के ईमेल पर बढ़ता विवाद

DOGE Controversy: ट्रंप प्रशासन ने संघीय एजेंसियों को निर्देश दिया है कि उनके कर्मचारी एलॉन मस्क के DOGE (Department of Government Efficiency) द्वारा भेजे गए ईमेल का जवाब देने के लिए बाध्य नहीं हैं। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब DOGE के तहत हजारों सरकारी कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में हैं। DOGE ने हाल ही में 23 लाख कर्मचारियों को एक ईमेल भेजा था, जिसमें उनसे उनके कामकाज का ब्यौरा देने को कहा गया था। इस आदेश के बाद सरकारी विभागों में हलचल मच गई थी, लेकिन अब प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि यह अनिवार्य नहीं है।

DOGE के ईमेल को लेकर बढ़ती चिंता

अमेरिकी न्याय विभाग के मुताबिक, संघीय एजेंसियों के मानव संसाधन अधिकारियों को यह निर्देश दिया गया है कि उनके कर्मचारियों को DOGE के ईमेल का जवाब देना जरूरी नहीं है। जारी मेमो में कहा गया है कि कोई भी कर्मचारी अपनी मर्जी से जवाब दे सकता है, लेकिन इसमें किसी भी संवेदनशील या गोपनीय जानकारी का खुलासा नहीं होना चाहिए। DOGE ने अपने ईमेल में कर्मचारियों से उनके कार्यों का संक्षिप्त विवरण पांच प्वाइंट्स में देने को कहा था और इसकी अंतिम समय सीमा सोमवार रात 11:59 बजे तय की गई थी। इससे कर्मचारियों में असमंजस की स्थिति बन गई थी कि वे जवाब दें या नहीं।

नौकरियों पर मंडराता खतरा

DOGE की सख्त नीति के चलते सरकारी कर्मचारियों में असुरक्षा का माहौल बन गया है। एलॉन मस्क इससे पहले USAID समेत कई सरकारी एजेंसियों से हजारों कर्मचारियों की छंटनी कर चुके हैं और आगे भी कटौती की योजना बनाई जा रही है। मस्क ने यह भी कहा था कि जो कर्मचारी DOGE के ईमेल का स्पष्ट जवाब नहीं देंगे, उनकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है। इस फैसले से सरकारी कर्मचारियों में बेचैनी बढ़ गई है क्योंकि पहली बार किसी निजी क्षेत्र के व्यक्ति को सरकारी खर्चों में कटौती का अधिकार मिला है।

मस्क का नया मिशन या राजनीति?

DOGE, यानी ‘Department of Government Efficiency,’ सरकारी खर्चों में पारदर्शिता और दक्षता लाने के उद्देश्य से बनाया गया है। दिलचस्प रूप से इसका नाम मस्क की पसंदीदा क्रिप्टोकरेंसी Dogecoin से मिलता-जुलता है। ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान मस्क और विवेक रामास्वामी को अपनी टीम में शामिल किया था। अब सवाल उठ रहा है कि ट्रंप प्रशासन मस्क के इस विभाग पर नियंत्रण चाहता है या यह कोई रणनीतिक कदम है?

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