Prayagraj: प्रयागराज मंडल की एक रूटीन चेकिंग ने रेलवे सुरक्षा बलों को चौंका दिया, जब यूपी मूरी एक्सप्रेस के शौचालय से 12 लाख रुपये मूल्य का गांजा बरामद हुआ। यह घटना रेलवे में चल रहे “ऑपरेशन नार्कोस” की सफलता का एक उदाहरण बन गई है।
चुनार स्टेशन पर ट्रेन नंबर 18309 की जांच के दौरान, जीआरपी और आरपीएफ के जवानों ने S-4 और S-5 स्लीपर कोच के शौचालयों से अजीब आवाजें सुनीं। जब एक अधिकारी ने दरवाजा खोला, तो छत से आ रही आवाजों ने उन्हें चौंका दिया। तुरंत कार्रवाई करते हुए, टीम ने छत को तोड़ा और 25 पैकेट गांजा बरामद किया, जिनमें से प्रत्येक का वजन 2 किलोग्राम था।
इस खोज ने वरिष्ठ अधिकारियों को मौके पर बुला लिया, जिन्होंने पूरी ट्रेन की व्यापक तलाशी का आदेश दिया। हालांकि, अन्य डिब्बों में कोई अतिरिक्त नशीला पदार्थ नहीं मिला। अधिकारियों ने तस्करों का पता लगाने की कोशिश की, लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।
जब्त किया गया गांजा जीआरपी चुनार को सौंप (Prayagraj) दिया गया है और लावारिस संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया है। इस घटना ने रेलवे सुरक्षा बलों को और अधिक सतर्क रहने के लिए प्रेरित किया है।
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एक जीआरपी प्रवक्ता ने कहा, “हम ट्रेनों में अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए अपने प्रयासों को बढ़ा रहे हैं। यात्रियों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।”
यह घटना दर्शाती है कि ड्रग तस्कर अपने (Prayagraj) अवैध व्यापार को छिपाने के लिए कितने रचनात्मक हो सकते हैं। रेलवे अधिकारियों ने यात्रियों से किसी भी संदिग्ध गतिविधि की रिपोर्ट करने का आग्रह किया है।
आने वाले दिनों में, यात्री बढ़ी हुई सुरक्षा उपस्थिति और अधिक कड़ी जांच की उम्मीद कर सकते हैं। हालांकि ये उपाय कुछ असुविधा पैदा कर सकते हैं, वे भारतीय रेलवे की सुरक्षा बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं।
इस प्रकार की घटनाएं “ऑपरेशन नार्कोस” की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं, जो रेलवे नेटवर्क में नशीले पदार्थों की तस्करी से निपटने के लिए एक व्यापक अभियान है। रेलवे अधिकारी इस तरह के नवीन छिपाने के स्थानों की पहचान करने के लिए अपनी रणनीतियों को लगातार अपडेट कर रहे हैं।
यह घटना न केवल सुरक्षा बलों की सतर्कता का प्रमाण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि ड्रग तस्करी से लड़ाई में निरंतर सतर्कता और नवीन दृष्टिकोण की आवश्यकता है।