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Monday, December 23, 2024
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Ganga Bridge: 150 साल पुराना पुल गंगा में समाया, पिकनिक स्पॉट बनने की तैयारी थी… जानें गंगा पुल का इतिहास !

kanpur News: कानपुर और उन्नाव को जोड़ने वाला ब्रिटिश काल का 150 साल पुराना गंगा पुल, जो कभी कानपुर की पहचान और गौरव का प्रतीक था वह अब इतिहास बन गया है। एक बड़ा हिस्सा मंगलवार सुबह गिरकर गंगा में समा गया। गौरतलब है कि 5 अप्रैल 2021 को इस पुराने गंगा पुल की चार कोठियों में दरार आने पर इसे बंद कर दिया गया था। इसके बाद से इसे चालू कराने के लिये काफी प्रयास किए गए, लेकिन पीडब्ल्यूडी ने पुल को जर्जर हालत में घोषित कर दिया।

पूर्व नगर आयुक्त पुल पर बनाना चाहते थे पिकनिक स्पॉट

आपको बता दें कि कानपुर के पूर्व नगर आयुक्त शिवशरणप्पा जीएन इस पुराने गंगापुल को पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित कर पुराने पुल को नया रूप देने की योजना तैयार कर रहे थे। इसके साथ ही यहां स्टॉल बनाए जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। इसी को लेकर नगर आयुक्त ने अन्य अधिकारियों के साथ पुल पर निरीक्षण भी किया था। अच्छा हुआ यह योजना अभी धरातल में नहीं आयी वरना बड़ा हादसा हो सकता था।

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चार कोठियों में दरार के बाद  ढाई साल से बंद पड़ा है गंगापुल

150 साल पुराना शुक्लागंज गंगा पुल पिछले ढाई साल से बंद है। पिलरों में दरारें आने के कारण इसे खतरनाक घोषित करते हुए पीडब्ल्यूडी ने इसे बंद कर दिया था, ताकि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसके बाद, शुक्लागंज और कानपुर दोनों छोर पर दीवार खड़ी कर आवागमन पूरी तरह रोक दिया गया।

East India के इंजीनियरों ने किया था तैयार

1875 में अंग्रेजों ने कानपुर को उन्नाव और लखनऊ से जोड़ने के उद्देश्य से इस पुल का निर्माण किया। इसे East India Company के इंजीनियरों ने तैयार किया और निर्माण में 7 साल 4 महीने का समय लगा। मैस्कर घाट पर इसका निर्माण प्लांट स्थापित किया गया था। 1910 में रेलवे ट्रैफिक के लिए एक और ब्रिज बनाया गया। आंकड़ों के अनुसार, इस पुल से हर दिन लगभग 22,000 वाहनों और 1.25 लाख लोगों का आवागमन होता था। 12 मीटर चौड़ा और 1.38 किलोमीटर लंबा यह पुल लंबे समय तक कानपुर और उन्नाव के बीच यातायात का मुख्य माध्यम रहा।

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कई फिल्मों में इस पुल का किया हुआ जिक्र

कानपुर का काठ का पुल इस शहर की एक अहम पहचान रहा है। कानपुर पर आधारित कई फिल्मों में इस पुल को दर्शाया गया है। हाल ही में आयुष्मान खुराना की फिल्म बाला में भी इस पुल की झलक दिखाई गई थी। इसके अलावा कानपुर से जुड़ी मशहूर कहावत “कानपुर कनकैया, ऊपर चले रेल का पहिया, नीचे बहें गंगा मइया” भी इसी पुल से प्रेरित मानी जाती है।

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