कमिश्नर साहब ! आपकी तैनाती को हो रहे 2 साल, कब लगेगी लगाम ?
राहुल शर्मा
गाजियाबाद (यूपी)। गाजियाबाद (Ghaziabad)पुलिस ने समाजवादी पार्टी नेता के होटल सहित चार में रेड डालकर देह व्यापार के धंधे का खुलासा किया है। इस कार्रवाई में पुलिस ने 9 महिला-युवतियों सहित 18 लोगों को गिरफ्तार किया है। एसीपी गाजियाबाद (Ghaziabad)का इस मामले में कहना है कि मुखबिर की सूचना के आधार पर ये कार्रवाई की गई थी। जिन होटलों पर रेड पड़ी है उनमें समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व महानगर सचिव रविन्द्र यादव का आर्यदीप होटल भी है। जिले में कमिश्नरेट सिस्टम लागू हुए तकरीबन दो साल बीतने वाले हैं, मगर शहर के बाजारों में बीचों-बीच खुले इन होटलों में देह-व्यापार का धंधा कम होने की बजाय और बढ़ गया है। हर थाना क्षेत्र में कुकुरमुत्तों की तरह होटल और ओयो हाऊस चल रहे हैं।
गाजियाबाद (Ghaziabad)कोई हिल स्टेशन नहीं है। यहां पुराने शहर के होटल ऐसे भी नहीं हैं जिनमें व्यापारी या बड़े कारोबारी रूक सकें बावजूद इसके इतनी तादात में खुले ये होटल ये बताने को काफी हैं कि ये होटल देह व्यापार के बूते ही चल रहे हैं। लेकिन इस ओर शायद कमिश्नर साहब का ध्यान नहीं गया। अधीनस्थों के पास तो इस ओर ध्यान देने की फुरसत ही नहीं है।
पहले भी पड़ चुकी है नेताजी के होटल में रेड
ऐसा नहीं कि सपा नेता के होटल में ये पहला मौका है कि जब पुलिस की रेड पड़ी है, बल्कि इससे पहले भी कई मर्तबा पुलिस की छापेमारी हो चुकी है और देह व्यापार के अवैध कारोबार का खुलासा हो चुका है। लेकिन पुलिस के ठोस कार्रवाई नहीं किए जाने की वजह से कुछ दिन बंद रहने के बाद ये गर्मगोश्त का कारोबार दोबारा शुरू हो जाता है।
एसीपी बोले-होगी सख्त कार्रवाई
रेड करने वाली पुलिस पार्टी का नेतृत्व कर रहे एसपी गाजियाबाद (Ghaziabad)रितेश त्रिपाठी का कहना है कि इस मामले में सिर्फ पकड़े गए लोगों के खिलाफ ही एक्शन नहीं होगा, बल्कि होटल मालिकों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सूचना लीक हुई, वरना…
जिन चार होटलों में रेड की कार्रवाई हुई है उन्हीं में से एक में काम करने वाले शख्स ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि जिस वक्त पुलिस की रेड हुई उससे पांच मिनट पहले ही फोन पर पुलिस की इस कार्रवाई की सूचना आ गई थी। आनन-फानन में होटलों के कमरे में मौजूद जोड़ों को चोर दरवाजों से निकाला जाने लगा था। पुलिस के पहुंचने तक कुछ जोड़े भाग नहीं पाए, वही पकड़े गए।
मुफ्त सेवा लेने वाले खाकी वाले हैं मुखबिर
हालाकि आला अफसरों को भले ही मुखबिर से इस अवैध कारोबार का पता चला मगर होटल मालिकों और वहां के स्टाफ को पुलिस रेड की जानकारी उन खाकी वालों से ही मिली जो इन होटलों में होने वाले इस गोरखधंधे को अरसे से नजरअंदाज करने की एवज में यहां मुफ्त की सेवाएं लेते चले आ रहे हैं।
अधिकांश होटलों में पुलिस का स्पेशल रूम
पुलिस के सूत्र ही बताते हैं कि रेलवे रोड बजरिया ही नहीं बल्कि नवयुग मार्केट और नया गाजियाबाद (Ghaziabad) रेलवे स्टेशन के पास और आरडीसी में चलने वाले लॉज और होटलों में भी पुलिसकर्मियों के लिए एक स्पेशळ सूट रिजर्व रहता है। जहां किसी भी समय पुलिसकर्मी न सिर्फ आते-जाते हैं और आराम फऱमाते है, बल्कि वहां तरह-तरह की सेवाएं भी लेते हैं।सूत्रों का कहना है कि इनमें सिपाही-दीवान से लेकर कई दरोगा और इंस्पेक्टर भी हैं।
नाबालिग बच्चों को लुभाने के लिए स्पेशल ऑफर
ऐसा नहीं है कि इन होटल-लॉज में चल रहा देह व्यापार का कारोबार छिपकर संचालित हो रहा है, बल्कि बाकायदा नाबालिग लड़के-लड़कियों को लुभाने (Ghaziabad) के लिए होटल-लॉज के बाहर स्पेशल ऑफर वाली तख्तियां तक टंगी दिखाई दे सकती हैं। जिनपर प्रति घंटे के हिसाब से कमरे के रेट लिखकर होटल-लॉज के संचालक ग्राहकों को लुभाने की खुल्लम-खुल्ला कोशिश करते हैं।
बिना लाईसेंस चल रहे हैं कई होटल-लॉज
इसी कारोबार से लंबे समय तक जुड़े रहे एक शख्स ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि शहर में चल रहे कई होटल तो ऐसे हैं जिनके पास इसे संचालित करने का लाइसेंस तक नहीं है। जबकि होटल का संचालन करने में फॉल-ओ किए जाने वाले नियमों को भी ये होटल संचालक दर-किनार करके इनका संचालन करते हैं।
संबंधित चौकी-थाने में होती है सैटिंग
इस अवैध कारोबार का संचालन करने वाले अपने होटल के क्षेत्र में आने वाली चौकी और थाने के पुलिसकर्मियों से सैटिंग रखते हैं। उसके लिए या तो एकमुश्त या फिर महीने के महीने तय रकम चौकी और थाने की पुलिस को दी जाती है। थानेदार-कोतवाल की गाड़ियों के चालक और इलाके में घूमने वाली पीसीआर वैन से भी इनका पैसे वाला रिश्ता रहता है। जिसकी वजह से यदा-कदा आला अफसरों के द्वारा कराई जाने वाली रेड की भनक इन लोगों को पहले ही लग जाती है। जैसा कि वीरवार को हुई रेड में हुआ।
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कमिश्नर साहब ! कैसे लगे लगाम ?
जिले में कमिश्नरेट (Ghaziabad) सिस्टम लागू हुए तकरीबन दो साल बीतने वाले हैं, मगर शहर के बाजारों में बीचों-बीच खुले इन होटलों में देह-व्यापार का धंधा कम होने की बजाय और बढ़ गया है। हर थाना क्षेत्र में कुकुरमुत्तों की तरह होटल और ओयो हाऊस चल रहे हैं। गाजियाबाद कोई हिल स्टेशन नहीं है। यहां पुराने शहर के होटल ऐसे भी नहीं हैं जिनमें व्यापारी या बड़े कारोबारी रूक सकें बावजूद इसके इतनी तादात में खुले ये होटल ये बताने को काफी हैं कि ये होटल देह व्यापार के बूते ही चल रहे हैं। लेकिन इस ओर शायद कमिश्नर साहब का ध्यान नहीं गया। अधीनस्थों के पास तो इस ओर ध्यान देने की फुरसत ही नहीं है।