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UP के इस जिले में 433 सरकारी स्कूलों पर लगेंगे ताले, वजह जान हो जाएंगे हैरान

Ghazipur News
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Ghazipur News: उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा के परिषदीय विद्यालयों में छात्र संख्या बढ़ाने के लिए राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है। अभिभावकों को जागरूक करने के लिए स्कूल चलो अभियान समेत कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, फिर भी गाजीपुर के कई विद्यालयों में बच्चों की संख्या नहीं बढ़ रही है। जुलाई में ऐसे विद्यालयों के शिक्षकों को विभाग की ओर से नोटिस भी भेजा गया था। लेकिन इसके बावजूद जब संख्या नहीं बढ़ सकी तो कम छात्र संख्या वाले विद्यालय अब प्रशासन के निशाने पर आ गए हैं।

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बता दें कि, बेसिक शिक्षा विभाग ने 50 से कम छात्र संख्या वाले जिले के 423 विद्यालयों को नजदीकी विद्यालयों में मर्ज कर बंद करने का निर्णय लिया है। राज्य परियोजना ने विकास खंडवार 50 से कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों की सूची मांगी है, जिन्हें नजदीकी विद्यालयों में मर्ज कर बंद किया जा सकता है। ऐसे विद्यालयों की संख्या 423 है, जिनका अस्तित्व समाप्त हो सकता है।

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423 विद्यालयों को बंद करने का फैसला 

दरअसल, 423 विद्यालयों में सबसे ज्यादा जमानिया के 55 और सबसे कम सादात ब्लाक के पांच विद्यालय शामिल हैं। बाराचवर में 24, भदौरा में 23, भांवरकोल में 26, बिरनो में 14, देवकली में 42, सदर में 14, करंडा में 26, कासिमाबाद में 24, मनिहारी में 15, मरदह में 24, मुहम्मदाबाद में 43, नगर क्षेत्र में 10, रेवतीपुर में 25, सैदपुर में 31 और जखनिया में 22 ऐसे विद्यालय हैं, जहां छात्रों की संख्या 50 से कम है।

छात्र संख्या बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास

बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा गाजीपुर में कुल 2266 विद्यालय संचालित हैं, जिनमें 1462 प्राथमिक और 350 उच्च प्राथमिक, 454 कंपोजिट विद्यालय हैं, जिनमें करीब 2 लाख 50 हजार बच्चे पढ़ते हैं। इन विद्यालयों में से राज्य परियोजना कार्यालय ने प्रदेश भर के ऐसे परिषदीय विद्यालयों की सूची तैयार की है, जिनमें 50 या उससे कम बच्चे नामांकित हैं। बेसिक शिक्षा अधिकारी हेमंत राव ने ऐसे विद्यालयों में छात्र संख्या बढ़ाने के लिए लगातार कई प्रयास किए। बेसिक शिक्षा अधिकारी हेमंत राव ने कई विद्यालयों का दौरा भी किया और ‘स्कूल चलो अभियान’ में भी हिस्सा लिया, ताकि शिक्षक और प्रधानाध्यापक सक्रिय मोड में आएं। इसके बावजूद जिले के 423 विद्यालयों में छात्र संख्या 50 से कम होने के कारण अब इन विद्यालयों का अस्तित्व खतरे में है।

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