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गाजीपुर के एसपी का अपराधियों को कड़ा संदेश: “हमारा निशाना बदमाशों से ज्यादा अच्छा”

Ghazipur

Ghazipur: गाजीपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) डॉ. इरज रजा द्वारा सोशल मीडिया पर किया गया एक पोस्ट इन दिनों तेजी से वायरल हो रहा है। इस पोस्ट में उन्होंने अपराधियों को एक कड़ा संदेश दिया है, जो उत्तर प्रदेश में चल रहे अपराध विरोधी अभियान का प्रतीक बन गया है।

एनकाउंटर के बाद वायरल हुआ पोस्ट

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Ghazipur पुलिस ने हाल ही में कई सफल एनकाउंटर किए हैं, जिनमें एक लाख रुपये के इनामी अपराधी मोहम्मद जाहिद उर्फ सोनू को मार गिराना शामिल है। यह अपराधी आरपीएफ जवानों की हत्या के मामले में वांछित था। इस घटना के बाद, 15 सितंबर को डॉ. रजा ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने लिखा, “हमारा निशाना ज्यादा अच्छा हैं इन बदमाशों से।”

पुलिस की कार्रवाई का विवरण

डॉ. रजा ने अपने पोस्ट में आगे लिखा, “भय फैलाने के लिए फायरिंग करने वाला बदमाश पुलिस मुठभेड़ में घायल। बदमाश सावधानी बरतें। Well done SWAT team, PS BHAVARCOL & Karimuddinpur।” यह पोस्ट एक 25,000 रुपये के इनामी अपराधी की गिरफ्तारी के बाद किया गया था।

उत्तर प्रदेश में अपराध नियंत्रण अभियान

यह घटना उत्तर प्रदेश में चल रहे व्यापक अपराध नियंत्रण अभियान का हिस्सा है। राज्य सरकार अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रही है, जिसमें एनकाउंटर भी शामिल हैं। Ghazipur में, डॉ. रजा की टीम ने कई “हाफ एनकाउंटर” के साथ-साथ एक “फुल एनकाउंटर” भी किया है।

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डॉ. इरज रजा: एक अनोखी प्रोफाइल

डॉ. इरज रजा की पृष्ठभूमि काफी दिलचस्प है। वे आगरा के रहने वाले हैं और 2011 में MBBS की डिग्री प्राप्त करने के बाद, चार साल तक बिजनौर में चिकित्सा अधिकारी के रूप में कार्य किया। हालांकि, उन्होंने अपना करियर बदलने का फैसला किया और 2017 बैच के IPS अधिकारी बने।

अपराध नियंत्रण में उल्लेखनीय योगदान

अपने करियर के दौरान, डॉ. रजा ने अपराध नियंत्रण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। गाजियाबाद के ग्रामीण क्षेत्र में एसपी के रूप में अपने दो साल के कार्यकाल के दौरान, उन्होंने लगभग 150 “हाफ एनकाउंटर” का नेतृत्व किया। इसके बाद, जालौन जिले में भी उन्होंने 50 से अधिक “हाफ एनकाउंटर” किए।

समाज पर प्रभाव और चुनौतियां

डॉ. रजा की कार्रवाइयों और उनके बयानों ने समाज में मिश्रित प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं। जहां कुछ लोग इसे अपराध नियंत्रण के लिए आवश्यक कदम मानते हैं, वहीं अन्य मानवाधिकारों और कानूनी प्रक्रिया के उल्लंघन की चिंता व्यक्त करते हैं। यह स्थिति कानून प्रवर्तन और नागरिक अधिकारों के बीच संतुलन बनाए रखने की जटिल चुनौती को रेखांकित करती है।

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